बिलासपुर

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप..कहा.. भाजपा अब नहीं रही केडर बेस पार्टी

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(शशि कोन्हेर) : पूंजीवाद, अधिनायकवाद, स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के हक का गला घोटकर आउटसोर्सिंग करना ही भाजपा का मूल राजनीतिक चरित्र है, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के भाजपा नेतृत्व को किया खारिज, स्थानीय विधायक सांसदों को बाईपास करके केंद्रीय मंत्री कर रहे प्रदेश की राजनीति धान और नान, अगस्ता, पनामा, डीकेएस, बैंक घोटाला स्पेशलिस्ट डॉक्टर, धरम, विष्णु, बिरजू केवल फील्डिंग करेंगे, प्रदेश की राजनीति केंद्रीय मंत्रियों के हवाले।

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छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ भाजपा के स्थानीय नेताओं के नेतृत्व को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। डी. पुरंदेश्वरी, शिव प्रकाश और नितिन नवीन तो पहले ही दूरियां बनाने लगे थे और अब मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रियों ने छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि रमन राज के 15 साल के कुशासन में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के कालीख धुले नहीं है। नान और धान के घोटाले, अगस्ता और पनामा की कमीशनखोरी, महिला सहकारी बैंक घोटाले में उमेश सिन्हा का नारको टेस्ट, डीकेएस, घटिया मोबाइल, गुणवत्ताहीन एक्सप्रेसवे, 15 साल की वादाखिलाफ़ी छत्तीसगढ की जनता भूली नहीं है।

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा है कि कैडरबेस पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी आज केवल हम दो और हमारे दो के मुनाफे के लिए काम करने वाली पार्टी बन गई है। देश में पूंजीवाद की स्थापना ही मोदी सरकार का एक सूत्रीय एजेंडा बन चुका है। मोदी शाह के अहंकार और अधिनायक वादी प्रवृत्ति के आगे किसी भाजपा नेता के सलाह और सुझाव की गुंजाइश नहीं है। तमाम केंद्रीय मंत्री अपने विभाग की जवाबदेही के बजाय केवल मोदी दरबार में अपना नंबर बढ़ाने चाटुकारिता में लगे हुए हैं। चंद पूंजीपति मित्रों के लाभ के लिए तमाम संविधानिक प्रावधानों और सिविल सेवा (यूपीएससी) नियम के खिलाफ़ केंद्रीय सचिवालय में संयुक्त सचिव पदों पर उन्हीं मित्रों के कारपोरेट कार्यालय के कर्मचारियों को भर्ती किया जा रहा है ताकि केवल उनके मुनाफे के लिए योजनाएं बनाई जा सके। मोदी सरकार लगातार छत्तीसगढ़ के आर्थिक हितों के खिलाफ निर्णय ले रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के लोकसभा के 9 सांसद, दो राज्यसभा सांसद, राष्ट्रीय पदाधिकारी कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाए कि मोदी, शाह के समक्ष छत्तीसगढ़ की हित की बात कर सकें। 15 साल रमन राज में स्थानी ओबीसी, एससी, एसटी के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का शोषण हुआ। ताराचंद साहू जैसे कद्दावर ओबीसी नेता को उपेक्षा का शिकार होकर भाजपा छोड़ना पड़ा। नंद कुमार साय, रामविचार नेताम, ननकीराम कंवर की उपेक्षा सर्वविदित है और अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने रमन, धरम विष्णुदेव साय के नेतृत्व को भी ख़ारिज कर दिया है। उसी तय एजेंडे के तहत तमाम केंद्रीय मंत्री एक साथ छत्तीसगढ़ आ रहे हैं।

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