देश

केदारनाथ मंदिर में वीआईपी द्वार से श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगी रोक…अब हवाई सेवा से पहुंचने वाले श्रद्धालु भी लाइन लगाकर ही..

(शशि कोन्हेर) : केदारनाथ मंदिर में वीआइपी द्वार से श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। अब हेली सेवा से पहुंचने वाले श्रद्धालु भी लाइन में लगकर ही बाबा के दर्शन करेंगे। इसके लिए वीआइपी द्वार पर बैरिकेडिंग लगाई गई है।

Advertisement

अब तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु वीआइपी द्वार से मंदिर में प्रवेश कर रहे थे, इससे दर्शनों के दौरान धक्का-मुक्की तक की नौबत आ जा रही थी। वहीं, लाइन में खड़े श्रद्धालुओं को हर हाल में दो घंटे के भीतर दर्शन कराने होंगे। मंदिर परिसर में यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए भी बैरिकेडिंग लगाई गई है।

Advertisement
Advertisement

बाबा केदार के दर्शनों को इस बार श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। इससे व्यवस्थाएं बनाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। अब तक सवा लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं। इससे दर्शनों के दौरान धक्का-मुक्का से भारी अव्यवस्था फैल रही है।

Advertisement

दरअसल, हेली सेवा से प्रतिदिन आने वाले लगभग दो हजार श्रद्धालु भी वीआइपी द्वार से दर्शनों को पहुंच रहे। इससे अव्यवस्था और बढ़ गई है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने वीआइपी दर्शनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया।

Advertisement

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि धाम में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को अब सामान्य लाइन में खड़े होकर दर्शनों के लिए अपनी बारी का इंतजार करना होगा। लाइन में खड़े श्रद्धालुओं को दो घंटे में दर्शन कराने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके लिए पुलिस फोर्स तैनात की गई है, जो लाइन में खड़े श्रद्धालुओं को दर्शन कराने में सहयोग कर रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रति मिनट 30 श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जा रहे हैं, ताकि समय पर सभी श्रद्धालु दर्शन कर सकें।

बताया कि मंदिर परिसर में व्यवस्थाएं बनाने और श्रद्धालुओं की मदद के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी), पुलिस व प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान, सेक्टर मजिस्ट्रेट और स्वास्थ्य कर्मी तैनात हैं। इसके अलावा ठंड से बचाव के लिए एक हजार से अधिक कंबल केदारनाथ भेजे गए हैं। यह उन श्रद्धालुओं को दिए जा रहे हैं, जो बिना गर्म कपड़ों के दर्शनों को पहुंच रहे हैं।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button