बिलासपुर

ईसाई कब्रिस्तान की 1 एकड़ जमीन बेचने वालों पर करोड़ों की मांडवाली का शक, कांग्रेस विधायक मोहित केरकेट्टा और उनके पुत्र पर लग रहा आरोप

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। क्या कोई ईसाई कब्रिस्तान की जमीन को ओने पौने दाम में बेच कर करोड़ों की मांडवली कर सकता है..? लगभग असंभव से इस सवाल का बिलासपुर में सीधा जवाब है कि हां कर सकता है। यहां सरकारी जमीन और निजी जमीनों की गड़बड़ी तथा दस्तावेजों में चल रहे तिलस्मी खेल की बदौलत यहां इस श्मशान घाट की जमीन को भी बेच कर मजे से करोड़ों की मांडवाली कर सकता है। यहां के पटवारी और राजस्व का जमीनी हमला तथा अधिकारियों को ऐसे ही लोगों की हमेशा तलाश रहती है,जो वैध जमीनों की अवैध बिक्री और अवैध जमीनों की अवैध बिक्री करना चाहते हो। वैसे भी बिलासपुर शहर और जिले की ख्याति पूरे प्रदेश में हो चुकी है कि आप यहां अवैध संपत्ति की बिक्री आसानी से कर सकते हैं।

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ताजा मसला बिलासपुर शहर में ईसाई कब्रिस्तान की 1 एकड़ जमीन का है। मीडिया में प्रसारित इस बाबत खबर में आरोप लग रहा है कि लगभग 20 से 30 करोड़ रुपए की यह जमीन सरकारी दस्तावेजों में मात्र 1 करोड़ रुपए की बताकर बेच दी गई। जिस जमीन की बिक्री की गई है वह बलराम टॉकीज के पास संत कंवरराम गेट स्मार्ट सिटी रोड में तिरंगा चौक के पास स्थित है। चर्च आफ क्राइस्ट मिशन इन इंडिया पंजीयन क्रमांक 11 5354 कुदुदंड बिलासपुर के (कथित)पदाधिकारी बैरन उर्फ बैरन कुजूर पिता बुधवा जाति उरांव जिला जशपुर ने यह जमीन शंकर केरकेट्टा पिता मोहित राम केरकेट्टा (कांग्रेस विधायक पाली तानाखार) और मोहित राम के पिता बुधराम जाति उरांव दर्रापाली पोलमी जिला बाल्को को मात्र 1करोड रुपए में बेच दी है। यहां या फिर से बता दें कि मोहित केरकेट्टा कोरबा जिले के तानाखार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। जमीन खरीदने वाले पिता पुत्र के द्वारा रजिस्ट्री के कागजातों पर स्पष्ट लिखा है कि इस जमीन की खरीदी बिक्री में बाजार मूल्य को प्रभावित करने वाले किसी भी सदस्य को छुपाया नहीं गया है। जिस समय जमीन का क्रय-विक्रय हुआ है उसका पटवारी हल्का नंबर 34 है। नगर निगम के वार्ड क्रमांक 3 के खसरा नंबर 296\1 जमीन किसके नाम पर दर्ज है। आश्चर्य की बात है कि आपका इस प्रकार पंजीयन 1953-54 का है और 23 सितंबर 2019 में रजिस्ट्रार फर्म्स एवं संस्था ने स्पष्ट किया है कि 2010 से 2019 तक संस्था के पदाधिकारियों की प्रमाणित सूची जारी नहीं की गई है। ऐसे में जब रजिस्ट्रार पद एवं संस्था किसी को भी पदाधिकारी बता ही नहीं रही है तो वैरन उर्फ बैरन ने कब्रिस्तान की जमीन को कैसे बेच दिया..? किसी भी पंजीकृत समिति पर रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 की धारा 21 लागू होती है। जिसके प्रावधानों के अनुसार अचल संपत्ति के किसी भी प्रकार का क्रय विक्रय स्थानांतरण के पूर्व पंजीयक फर्म्स की पूर्व अनुमति लेना जरूरी है। कब्रिस्तान की जमीन जैसी अति महत्वपूर्ण भूमि केवल 1 करोड़ रुपए में बेच दी है। जबकि गाइडलाइन के मुताबिक इस क्षेत्र का प्रति स्क्वायर फीट का दाम 24 हजार₹ से कम नहीं है। दस्तावेजों में बताया गया है कि इस खरीदी बिक्री से 4 लाख 96 हजार ₹125 सरकार को और 99 हजार 225 रुपए नगर निगम को तथा उपकर के रूप में 24 हजार ₹806 प्राप्त हुए। दस्तावेजों में जमीन का मूल्य मात्र 99 लाख 22500 बताया गया है। इस तरह कब्रिस्तान का ओने पौने दाम में बिक़ जाना और तानाखार के कांग्रेसी विधायक के द्वारा बिलासपुर वार्ड क्रमांक 3 में बेशकीमती जमीन को कौड़ियों के दाम पर खरीद लेने से पूरी व्यवस्था पर प्रश्न लग जाता है। संस्था के सचिव कथित बैरन ने बताया कि उन्होंने 2021 में इस जमीन को बेचा है। उनका मुताबिक कब्रिस्तान और बिक्री की गई जमीन की ऋण उसी का अलग-अलग है। बेचने की वजह के रूप में भी कोई तात्कालिक अड़चन की बात कही गई है जबकि संस्था के एक अन्य ग्रुप के द्वारा एसडीएम बिलासपुर के पास इस प्रकरण में नामांतरण पर आपत्ति की है। इस बाबत दूरभाष पर विधायक मोहित केरकेट्टा से काफी प्रयास करने के बाद भी संपर्क और बात नहीं हो पाई।

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सरकारी जमीनों की बिक्री के लिए मशहूर हुए बिलासपुर और यहां के पटवारी तहसीलदार अब कब्रिस्तान की जमीन को भी सांठगांठ कर बेच रहे हैं चुके हैं इसका गंभीर आरोप विधायक पिता-पुत्र पर लगा हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ईसाई समाज की जमीन एक करोड़ रुपए जैसे औनी पौनी रकम में बेचकर खरीदारों और विक्रेता के ऊपर माण्डवली का जो आरोप लग रहा है उसे जिला प्रशासन गंभीरता से लेकर दूध का दूध और पानी का पानी करेगा।

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