रायपुर में होगा 50 फीट के रावण का दहन और बिलासपुर में जिला प्रशासन मौन..अभी तक अनुमति क्यों नहीं, क्या बिलासपुर के साथ पक्षपात और नाइंसाफी क्यों..
(शशि कोन्हेर) : रायपुर – यह बहुत आश्चर्य की बात है कि प्रदेश की राजधानी रायपुर में 50 फीट ऊंचे रावण के पुतले को बनाने और उसका दहन करने की अनुमति मिल चुकी है। वहीं प्रदेश के दूसरे दूसरे प्रमुख शहर बिलासपुर में अभी तक जिला प्रशासन इस मामले में मौन धारण किए हुए है। रायपुर में राज्य़ में सबसे बड़ा दशहरा उत्सव डब्ल्यूआरएस कालोनी में मनाया जाता है, जहां हर साल 105 फीट ऊंचा रावण का पुतला और 85-85 फीट के मेघनाद-कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। इस साल कोरोना गाइडलाइन में दशहरा पर्व को सादगी से मनाए जाने की अनुमति दी गई है। इसके चलते रावण का पुतला 50 फीट तक का ही बनाया जा रहा है। इस बार रावण के पुतले का दहन तो किया जाएगा, लेकिन मेघनाद-कुंभकर्ण के पुतले नहीं जलाए जाएंगे।
डब्ल्यूआरएस कालोनी सार्वजनिक दशहरा उत्सव समिति के प्रमुख विधायक कुलदीप जुनेजा ने बताया कि इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए दशहरा पर्व को सादगी से मनाएंगे। प्रशासन के आदेश के अनुरूप रावण के पुतले की ऊंचाई रखी जाएगी। साथ ही मेघनाद-कुंभकर्ण के पुतले नहीं जलेंगे।
राजधानी में शंकर नगर बीटीआइ ग्राउंड, कटोरातालाब, सप्रे शाला मैदान, चौबे कालोनी, मठपारा के रावणभाठा मैदान, छत्तीसगढ़ नगर, रामकुंड समेत 10 इलाकों में रावण पुतला का दहन करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। केवल डब्ल्यूआरएस कालोनी और रावणभाठा में ही 50 फीट तक का पुतला बनाया जा रहा है। अन्य इलाकों में 25 से 30 फीट का पुतला जलेगा।
सोचने की बात यह है कि जब रायपुर में 50 फीट ऊंचे रावण के पुतले बनाने और दान की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा गाइड लाइन में की गई है तो बिलासपुर के साथ यहां का जिला प्रशासन क्यों ऐसा भेदभाव कर रावण बनाने और रावण दहन करने की अनुमति नहीं दे रहा है।