दिनचर्या और खानपान के संयम से मधुमेह समेत कई बीमारियों से बचा जा सकता है : डॉ प्रवीण कालविट
(आशीष मौर्य) : बिलासपुर – मधुमेह का नाम सुनते ही लोगो के मन में भय पैदा हो जाता है। कुछ दशकों पहले जो बीमारी किसी किसी को होती थी उसके विपरीत आजकल कोई ऐसा परिवार नही है जिसमे मधुमेह का रोगी ना हो।बिलासपुर डायबिटिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ प्रवीण कालविट और डॉ शुभदा कालवीट ने कहा कि अगर हम अपने लाइफ स्टाइल में थोड़ा बदलाव करे और योग व्यायाम के साथ ही खान पान में ध्यान दे तो बीमारियों से बचा जा सकता है।
जीवनशैली और आहार में गड़बड़ी के कारण पिछले एक दशक में डायबिटीज रोगियों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला है। आंकड़ों के मुताबिक विश्व स्तर पर 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के 33 फीसदी से अधिक लोग इस घातक रोग के शिकार हैं। गंभीर बात यह है कि अब कम उम्र के लोगों में भी डायबिटीज की शिकायत मिल रही है।बिलासपुर डायबिटीज सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ प्रवीण कालवीट ने विश्व मधुमेह दिवस पर कहा कि लोग अगर अपने दिनचर्या और खानपान में थोड़ा से बदलाव कर ले तो मधुमेह और अन्य बिमारियों से बचा जा सकता है,और जिन्हें मधुमेह है वह बचाव के उपाय करके इसे नियंत्रित कर सकते है।
डॉ शुभदा कालवीट ने बताया कि डायबिटीज की भयावहता का अंदाज इसी से लगा सकते है की विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार पूरे विश्व में सन 1980 में मधुमेह रोगियों की संख्या 108 मिलियन थी जो 2014 में बढ़कर 422 मिलियन हो गयी। इसमे से 2017 की रिपोर्ट में 72 मिलियन मधुमेह के रोगी केवल भारत में थे जो की 2030 में इनकी संख्या बढ़कर 98 मिलियन से अधिक हो जाएगी।
ऐसा क्यों है की तमाम आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के वावजूद मधुमेह रोगियों की संख्या में कमी आने की बजाय दिनोंदिन वृद्धि होती जा रही है। ऐसा इसलिए है की हम आलसी प्रवृत्ति के होते जा रहे है, हमारी दिनचर्या अस्त व्यस्त होती जा रही है और जीवन में तनाव बढ़ रहा है। अब ऐसे उपाय करने चाहिए जिनका पालन करके हम अपने मधुमेह को नियंत्रित कर सकते है,डॉ कलवीट दंपति ने सभी से मधुमेह की बीमारी को नियंत्रित करने अपील है।मधुमेह दिवस पर बिलासपुर डायबिटीज सोसाइटी की मधुमेह पुस्तक के नए अंक का विमोचन हुआ।