देश

सरस्वती शिशु मंदिरों पर दिये बयान में, दिग्गी राजा पर होगी FIR..!!

भोपाल – अपने बोलों से कांग्रेस के लिए कई बार असुविधाजनक स्थिति पैदा करने वाले दिग्गी राजा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। एक बार कांग्रेस पेशोपेश में है कि बयान का समर्थन कैसे करे या कि खंडन कैसे करे, पर इस पेशोपेश के बीच दिग्गी राजा उसी बयान की वजह से नई मुसीबत में फँस सकते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पत्र डीजीपी को भेजा गया है जिसमें धाराओं का ज़िक्र करते हुए FIR किए जाने और सात दिन के भीतर जाँच रिपोर्ट भेजे जाने की संस्तुति की गई है।

Advertisement


दरअसल बीते शनिवार को राजधानी के नीलम पार्क में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने सरस्वती शिशु मंदिर को लेकर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा
”सरस्वती शिशु मंदिर बचपन से लोगों के दिल और दिमाग़ में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफ़रत का बीज बोते हैं, वहीं नफ़रत का बीज धीरे धीरे आगे बढ़कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता है, सांप्रदायिक कटुता पैदा करता है, धार्मिक उन्माद फैलाता है और देश में दंगे फ़साद होते हैं”

Advertisement
Advertisement


इस बयान के आते ही भाजपा हमलावर हो गई। भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए टिप्पणी की जिसमें कहा गया कि, शिशु मंदिर मदरसा नहीं है, जहां आतंकवाद को पैदा किया जाता है और मानवता को कुचला जाता है।

Advertisement

दिग्विजय सिंह के इस बयान के साथ ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है “सर, मैं शिशु मंदिर का छात्र हूँ”। इधर इस बयान पर कांग्रेस की स्थिति बिल्कुल वैसी ही हो गई है जो इसके पहले दिग्विजय सिंह के कई बयानों के बाद हुई है। कांग्रेस “ना उगलत बने ना निगलत बने” की हालत में है।

Advertisement


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान पर सियासत की चिल्लमचोट के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र ने डीजीपी के चैंबर में दस्तक दी है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मीडिया से कहा : ”सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों ने हमें शिकायतें भेजी हैं। हमने इसपर संज्ञान लिया” राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र में उल्लेख है.


”प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि ये आईपीसी की धारा 153 A और B, 504, 505 और इसके अलावा किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 3 के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसलिए इसपर मामला दर्ज़ करके जांच करें और 7 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट भेजें”

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button