अंतरराष्ट्रीय

रूसी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर… 1000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर. फिर कब्जा किया यूक्रेन ने

(शशि कोन्हेर) : रूस से 7 माह से जारी जंग के बीच यूक्रेन ने रूस को बड़ा झटका दिया है। यूक्रेन की सेना ने खार्किव में हारा हुआ करीब एक हजार वर्ग किमी का इलाका दोबारा रूस से वापस ले लिया है। यूक्रेन की सेना ने दक्षिण और पूर्व में रूस की सेना से ये इलाका वापस हासिल कर लिया है। यूक्रेन की सेना इस बड़ी कामयाबी से काफी उत्‍साहित है।

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस कामयाबी पर यूक्रेनी सेना को बधाई भी दी है। उन्‍होंने कहा है कि खार्किव क्षेत्र में 30 से अधिक बस्तियों को रूस की सेना से मुक्‍त करा लिया गया है। करीब दो माह पहले यूक्रेन के राष्‍ट्रपति ने कहा था कि वो सितंबर तक इस इलाके रूस से वापस ले लेंगे। यूक्रेन की तरफ से कहा यगा है कि रूसी कब्जे वाले खार्किव के इस इलाकों में से एक कुपियांस्क और दो अन्य शहरों से नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है।

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यूक्रेन को मिली युद्ध में बढ़त
एक र‍िपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जिस इलाके में यूक्रेन की सेना ने ये बढ़त बनाई है वहां से रूस की फौज करीब 15 किमी की दूरी पर है। ये इलाका दरअसल एक बड़ा रेलवे जंकशन हैं। यहां पर रूस रेल के जरिए अपने जवानों को बड़ी तादाद में भेज रहा है। इसके अलावा रूस इस इलाके में सैनिकों को पहुंचाने के लिए सड़क और हवाई मार्ग का भी सहारा ले रहा है। इसके लिए वो एमआई -26 परिवहन हेलीकाप्टरों का उपयोग कर रहा है। इस तरह के एक हेलीकाप्‍टर में करीब 80 सैनिक आ सकते हैं।

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15 किमी दूर है रूस की सेना
यूक्रेन की तरफ से सोशल मीडिया पर बताया गया है कि उसके जवानों ने 3 दिनों में सैनिकों ने 50 किमी की दूरी तय की है। माना जा रहा है कि लंबे समय से जारी इस युद्ध में अब रूस की पकड़ कमजोर हो रही है। जानकारों की मानें तो रूस की स्थिति इस युद्ध से अब बाहर निकलने की भी नहीं रही है। इससे उसकी छवि को नुकसान पहंच सकता है। इसलिए वो लगातार इसमें अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

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अत्‍याधुनिक हथियारों से यूक्रेन का पलड़ा हुआ भारी
जानकारों का ये भी कहना है कि यूक्रेन की युद्ध में वापसी की एक बड़ी वजह उसको दूसरे देशों से मिला साजो-सामान भी है। इनके बिना यूक्रेन कभी भी इस जंग में वापसी नहीं कर सकता था। गौरतलब है कि यूक्रेन के राष्‍ट्रपति इस बात की घोषणा पहले ही कर चुके हैं कि वो इस जंग में अब तब तक डटे रहेंगे जब तक वो अपने हारे हुए इलाकों को वापस हासिल नहीं कर लेते हैं।

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