बिलासपुर

हादसे के 24 घण्टे बीत जाने के बाद भी नही चला कारणों का पता, रेलवे अधिकारियों ने साधी चुप्पी….

(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर – इलेक्ट्रिक लोको शेड से चालू रेल इंजन गेट ओर पोल को तोड़ते हुए सड़क पर आ गया था इंजन को वापस पटरी पर लाने के लिए अधिकारियों को 14 घंटे लग गए। मंगलवार की सुबह पांच बजे डीजल इंजन से खींचकर इलेक्ट्रिक इंजन को लोको शेड तक वापस पहुंचाया गया।

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तारबाहर अंडरब्रिज के आगे बाइपास लाइन के नज़दीक करीब 1 किमी दूर इलेक्ट्रिक लोको शेड है। जहां रेल कर्मचारियों की लापरवाही के चलते सोमवार को विधुत इंजन चालू होकर पहले लाइन का गेट तोड़ा और उसके बाद डेड इंड को तोडते सड़क पर आ गया। उस समय फाटक खुला था, इसलिए लोगों की जान बच गई। इस घटना के बाद से रेल प्रशासन सकते में हैं। ये तय है कि इस मामले में जांच व कार्रवाई दोनों होगी। रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में अभी भी कुछ कहने से बच रहे हैं। घटना के बाद इंजीनियरिंग विभाग से लेकर अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी घटना स्थल पर पहुंच गए, चूंकि इंजन सड़क पर था। इसलिए वापस पटरी पर लाने के लिए डेड इंड से लेकर जहां इंजन खड़ा था वहां तक अस्थायी लाइन बिछाई गई उसके बाद डीजल इंजन से धीरे- धीरे इलेक्ट्रिक इंजन को खींचा गया। काफी जद्दोजहद के बाद इंजन पटरी पर आया। जिसके बाद अधिकारी व कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। इंजन को मरम्मत के लिए दोबारा इलेक्ट्रिक लोको शेड लाया गया। इधर घटना के बाद से रेलवे के अधिकारी जांच में जुट गए है। इलेक्ट्रिक लोको शेड के प्रभारी से लेकर चालक व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों की माने तो जिस समय यह घटना हुई उस वक्त लोको में एक पोर्टर ओर सफाई कर्मी मौजूद था, जिनके द्वारा इंजन की सफाई के दौरान कुछ बटन दब गया जिसके चलते इंजन चलने लगा, बताया जा रहा है कि घटना के दौरान पहियों के नीचे गुटका तक नही लगा था जब इस मालमे में जोन के पीआरओ से पूछा गया तो उन्होंने इस मामले में कोई जवाब नही दिया। वही मंडल के डीआरएम भी इस संबंध में कोई जानकारी नही होने और जांच के बाद कारणों का पता चलने की बात कहते रहे। कुल मिलाकर इस घटना ने रेल के सभी अधिकारीयों के होश उड़ा कर रख दिया है।

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