रायगढ़

डबल मर्डर का खुलासा : महिला और बच्चे का कातिल पुलिस की गिरफ्त में….

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बिलासपुर-झारसुगुड़ा नेशनल हाईवे 49 पर 27 नवंबर की सुबह ग्राम नेतनागर में पैरावट में अधजले महिला व बच्चों का शव बरामद होने की सूचना पर तत्काल थाना प्रभारी जूटमिल रामकिंकर यादव ने घटनास्थल पहुँचकर इसकी जानकारी सभी वरिष्ठ अधिकारियों को दी। जिसपर एसएसपी सदानंद कुमार, एडिशनल एसपी संजय महादेवा सीएसपी अभिनव उपाध्याय, साइबर सेल एवं फॉरेंसिक की टीम पहुंचकर शव, घटनास्थल का निरीक्षण कर ग्रामीणों से पूछताछ कर तत्काल जांच में जुट गई । घटनास्थल और शव के निरीक्षण पर प्रारंभिक दृष्टिया मामला हत्या कर साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से शव को पैरावट में जलाए जाने का प्रतीत हुआ । जघन्य हत्याकांड को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एसएसपी सदानंद कुमार द्वारा नगर पुलिस अधीक्षक अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में 3 अलग-अलग टीमें अज्ञात आरोपी की पतासाजी में लगाई गई । इन टीमों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई जिसमें एक टीम घटनास्थल से लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने में लगी हुई थी, साइबर की टीम मोबाइल टावर से टेक्निकल एनालिसिस में लग गई । वहीं प्रशिक्षु डीएसपी अमन और थाना प्रभारी जूटमिल के नेतृत्व में एक टीम ह्यूमन इंट के जरिये आरोपी का पता लगा रही थी जिसमें जानकारी मिली की घटना दिनांक को ग्रामीणों ने एक सफेद रंग की कार की आवाजाही घटनास्थल के आसपास देखा है । पुलिस के पास अब तक एक सफेद रंग की कार प्रथम संदेह उत्पन्न कर रहा था जिसकी जांच में सीएसपी अभिनव एवं डीएसपी अमन लखीसरानी की टीम नेशनल हाईवे और नेतनागर के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक कर रही थी, जल्द ही पुलिस को संदिग्ध सफेद कलर की महिंद्रा एक्सयूवी कार टोल नाके, मार्ग पर लगे सीसीटीवी और बैरियर में दिखाई दी । एक्सयूवी कार का आरटीओ से जानकारी प्राप्त कर उसके ऑनर का पता लगाया गया । कार विभा गुप्ता पति सूरज गुप्ता निवासी रायपुर का पता चला । पुलिस की एक टीम तत्काल रायपुर रवाना हुई जहां पुलिस को टीम को पता चला कि कार का उपयोग सूरज गुप्ता द्वारा किया जा रहा है जो पिछले कुछ समय से अपनी कंपनी में धोखाधड़ी कर कंपनी में काम करने वाली विवाहित महिला निधि औसरिया (28 साल) और उसके पहले पति से हुये बच्चे पार्थ (05 साल) के साथ रायपुर से बाहर कहीं रहता है । वहीं संदिग्ध एक्सयूवी कार का घटना दिनांक की गतिविधियों को चेक कर रही टीम ने एक्सयूवी कार को अकलतरा से आगे बढ़ते बिलासपुर की ओर देखा गया जो बिलासपुर शहर से कहीं और नहीं दिखी जिसके बाद सीएसपी अभिनव के नेतृत्व में पुलिस टीम बिलासपुर पहुंचकर संदेही सूरज गुप्ता की पतासाजी में जुट गई । बिलासपुर शहर के सीसीटीवी चेक करते हुए टीम शांतिनगर बिलासपुर पहुंची जहां सूरज गुप्ता एक किराए मकान लेकर एक महिला और बच्चे के साथ रह रहा था, एक्सयूवी कार पोर्च में खड़ी थी घर पर कोई नहीं थे । मकान मालिक से पूछताछ में जानकारी प्राप्त हुई कि सूरज गुप्ता और उसके साथ रहने वाली महिला निधि औसरिया और उसका 5 साल का बेटा पार्थ जो 2-3 दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं जिससे पुलिस का शक बढ़ गया । पुलिस टीम सूरज के साथ रहने वाली निधि औसरिया का फेसबुक अकाउंट चेक किया गया निधि के फोटोग्राफ्स में दाहिने कान में लॉन्ग (सोने का आभूषण) पहनी हुई थी, जले शव वाली महिला के कान पर भी इस तरह का आभूषण देखा गया था जिससे पुलिस का संदेह और बढ़ गया कि जली हुई महिला निधि औसरिया उसका बच्चा पार्थ हो सकते हैं । वही साइबर टीम की मदद से निधि के मोबाइल नंबर जांच में रखा गया जिसकी मृत्यु के पश्चात भी संभावित आरोपी द्वारा उसके व्हाट्सएप के संचालन की जानकारी मिली । पुलिस की टीम को निधि के मोबाइल नंबर के एनालिसिस पर पता चला कि मोबाइल पर और नंबर एक्टिव थे जिसे जांच करते हुए पुलिस संदिग्ध सूरज गुप्ता का लोकेशन लिया गया जो पुलिस से छुपते हुए मुंबई भाग चुका था । तत्काल एसएसपी सदानंद कुमार के निर्देशन पर डीएसपी अमन लखीसरानी के नेतृत्व में एक टीम पुणे रवाना हुई । वहीं संदेही सूरज गुप्ता पुलिस को गुमराह करने अपना मोबाइल बंद-चालू कर रहा था जिसका मोबाइल ऑन होने पर अगला लोकेशन दुर्ग-भिलाई प्राप्त हुआ । पुणे रवाना हुई टीम भिलाई पहुंची जहां आरोपी सूरज गुप्ता द्वारा अपनी पहचान छुपा कर नया फोन और नया सिम लेकर पीजी किराया में लेकर वहीं रहने की फिराक में था । टीम द्वारा आरोपी पतासाजी करते हुए भिलाई के प्रियदर्शनी परिसर पहुंच कर संदेही सूरज गुप्ता को हिरासत में लिया गया जिससे हिकमत अमली से पूछताछ करने पर उसने निधि औसरिया और उसके बेटे पार्थ की हत्या कर शव को बिलासपुर-झारसुगुड़ा हाईवे में रोड किनारे पैरावट में जलाना कबूल किया और घटना का वृतांत बताया। *आरोपी सूरज गुप्ता पिता सुरेश गुप्ता उम्र 41 साल निवासी हिमालया हाइट्स, देवपुरी रायपुर हाल मुकाम शांति नगर बिलासपुर* बताया कि पूर्व में रियल एस्टेट कंपनी में काम करता था । आरोपी ने बताया कि उसने क्लाइंट के रूपयों की धोखाधड़ी कर रायपुर में काम बंद कर इसके साथ कंपनी में काम करने वाली विवाहिता महिला निधि औसरिया और उसके बेटे पार्थ के साथ बिलासपुर में रहने लगा । सूरज गुप्ता और निधि पहले से विवाहित थे जो पिछले कुछ समय से बिलासपुर में पति-पत्नी की तरह रह रहे थे । आरोपी ने बताया कि दोनों के बीच अक्सर झगड़ा विवाद होता था ।

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24 नवंबर की रात निधि और सूरज में झगड़ा हुआ था जिसे लेकर सूरज दूसरे दिन भी गुस्से में था और 25 नवंबर के दोपहर दोनों के बीच फिर बहसा बहसी हुई और सूरज आवेश में आकर घर में रखे हथौड़े से निधि के सिर पर ताबड़तोड़ कई बार वार किया जिससे निधि अधमरी हो गई जिसका पैर से गला दबाकर उसकी हत्या कर दिया और पकड़े जाने के डर से घर में मौजूद मासूम पार्थ की वायर से गला दबाकर हत्या कर दिया । इसके बाद शव ठिकाने लगाने की प्लानिंग में सूरज जुट गया उसने पेट्रोल, प्लास्टिक व अन्य सामान की व्यवस्था कर शव को शहर से दूर ठिकाने लगाने 26 नवंबर की सुबह दोनों लाश को एक्सयूवी कार के डिक्की में डालकर रायगढ़ की ओर निकाला 26 नवंबर के दोपहर में ही आरोपी सूरज गुप्ता नेतनागर पहुंच गया और पैरावट रखे स्थान की रैकी कर स्थान को उचित मानकर रात्रि होने का इंतजार किया और देर रात शव को जलाकर पुलिस को चकमा देने के लिए बार-बार मार्ग बदल-बदल कर अकलतरा-बिलासपुर होते हुए अपने घर शांति नगर पहुंचा और कार पोर्च पर खडी कर रफू चक्कर हो गया । पुलिस ने आरोपी से मृतिका औसरिया के सोने चांदी के जेवरात करीब सात आठ लाख रुपए नगद कैश करीब ढाई लाख रुपये और एक्सयूवी 700 कार की जप्त की गई है ।

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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सदानंद कुमार के महत्वपूर्ण दिशा निर्देशन एवं एडिशनल एसपी श्री संजय महादेवा के मार्गदर्शन पर उक्त घटना को एक हफ्ते के भीतर सुलझाने में नगर पुलिस अधीक्षक श्री अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में गठित स्पेशल टीम में शामिल प्रशिक्षु डीएसपी अमन लखीसरानी, थाना प्रभारी जूटमिल रामकिंकर यादव, सहायक उप निरीक्षक भागीरथी चौधरी, शशिदेव भोय, प्रधान आरक्षक राजेश पटेल, दुर्गेश सिंह, बृजलाल गुर्जर आरक्षक विकास सिंह, धनंजय कश्यप, महेश पंडा, नवीन शुक्ला, रविंद्र गुप्ता, प्रताप बेहरा, पुष्पेंद्र जाटवार, प्रशांत पंडा, नरेश रजक, कान्हा पोर्ते ( गाड़ी की पहचान में महत्वपूर्ण) परमानंद पटेल, तारीक अनवर, धर्नुजय बेहरा, विनय तिवारी, लखेश्वर पुरसेठ, शशिभूषण साहू, छबल के आरक्षक सुदर्शन पांडे, महिला आरक्षक मेनका चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।

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