अम्बिकापुर

धूमधाम से मनाया गया लोक पर्व देवउठनी जाने कैसे मनाया जाता पद्मा एकादशी…..


(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर- (सरगुजा) – वर्ष भर पड़ने वाले सभी एकादशीयो के अपने अलग अलग दास्तान रहे है। इनमे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला एकादशी का विशेष महत्व रहा है। वेद पुराणो में उल्लेख मिलता है कि- कार्तिक मास के एकादशी को जगत के पालनहार भगवान विष्णु अपने योग निद्रा से जागते हैं।इसे उठना भी कहा जाता है। इनके साथ जागृत होती है तमाम तरह के दैवीय अलौकिक शक्तियां। शायद इसी से इस लोक पर्व को देवउठन का संज्ञा दी गई है। देव उठन त्योहार मनाने के साथ शादी विवाह गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य किये जाने का सिलसिला आरंभ हो जाता है।इस रोज गाय बैलो की पूजा अर्चना मां लक्ष्मी के रूप में की जाती है । इस लोक पर्व को पद्मा एकादशी भी कहा जाता है । इस दिन माता तुलसी एवं शालिग्राम जी के विवाह किये जाने की महात्म्य धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है ।इसे छोटी दिपावली के रूप में मनाया जाता है इस दिन घरों को दीपमालाओं से सजाया जाकर।भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के अलावा अन्य देवी देवताओं के पूजा अर्चना किये जाने की प्रथा रही है। ग्रामीण अंचलों में गाय बैलो के पूजा अर्चना कर उन्हें शकरकंद कदू (मीठा कुम्हड़ा) चावल आटे से बने रोटी खिलाया जाता है। झाड़ फूंक तांत्रिक क्रिया करने वाले बैगा गुनिया अपने देवी देवताओं को खुश रखने के लिए मुर्गे बकरे की बलि देते हैं तथा अपने देवता को प्रसन्न करने महुआ शराब अर्पित करते हैं। ताकि उनका तंत्रमंत्र जागृत रहे। जड़ी बूटी औषधीय गुणों वाले पेड़ पौधे की पूजा आराधना करते हैं। जिससे औषधि के रूप में जड़ी बूटी असरदार बनी रहे। घरों के दिवारो में हाथ पंजे तथा गौ शालाओं में गाय बैलो के खुर का छाप ( निशान) चावल आटे को पानी में घोलकर बनाया जाता है। घरों में बनाया गया निशान शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पदचिह्न बनाने से सुख समृद्धि धन धान्य की वृद्धि होती है। आदिवासी बाहुल इलाकों में लोग आपस में मिलजुल कर इस लोक त्योहार देव उठन को करीब सप्ताह भर उत्साह के साथ मनाते तथा इस त्योहार के मौके पर करमा नृत्य भी करते हैं। प्रसाद के रूप में शकरकद कदू चावल आटे से बनी रोटी एक दूसरे को खिलाते हैं कच्ची महुआ शराब पीने पिलाने के साथ बकरा मुर्गा सेवन का दौर भी चलता है। बहरहाल शुक्रवार को देवउठन त्योहार छोटी दीपावली के रूप में नगर सहित दूरदराज ग्रामीण इलाकों में आतिशबाजी करते हुए धूमधाम से मनाया गया देव उठन मनाने का सिलसिला जारी है।

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