हजारों वृक्षों के कत्लेआम के “पाप” की सजा भुगत रहा है बिलासपुर, 45 से 47 डिग्री तापमान के लिए…थैंक्यू NTPC… थैंक्यू जिला प्रशासन और वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी व बिलासपुर के नेता..
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – मध्यप्रदेश के दौर में और उससे पहले बिलासपुर ऐसा शांत सुंदर और भरपूर पानी तथा शुद्ध आबो हवा वाला शहर था। जिसकी तारीफ पूरे प्रदेश में हर स्तर पर की जाती थी। हालत यह थी कि नौकरी चाकरी और व्यवसाय के चक्कर में जो भी व्यक्ति एक बार बिलासपुर आ जाता था वह यहां से बाहर न जा कर यहीं का होकर रह जाता था। आज हालात इसके ठीक उलट हैं। अब बिलासपुर में ऐसे परिवारों और लोगों की कोई कमी नहीं है जिनके बच्चे यहां से काम धाम और नौकरी चाकरी के लिए एक बार जो बाहर आते हैं..उसके बाद वापस बिलासपुर आना पसंद नहीं करते। पहले बिलासपुर इंसानों के रहने लायक था।
यहां बिलासपुर से रतनपुर तक और बिलासपुर से कोटा तक वही बिलासपुर से सकरी और मस्तूरी तक बड़े-बड़े वृक्षों की छांव गर्मी का अस्वास्थ्य नहीं होने देती थी। बिलासपुर से रायपुर रोड का भी कमोबेश यही हाल था। बिलासपुर शहर में लिंक रोड पर दोनों और लगे बुजुर्गवार वृक्षों के कत्लेआम का जिन्होंने विरोध किया उन्हें तबके सप्ताह देशों ने जेल और केस की धमकी दे दी।
आज लिंक रोड के वृक्ष विहीन होने की सजा पूरा शहर भुगत रहा है। इतना ही नहीं वरन पौधारोपण को लेकर एनटीपीसी तथा एसईसीएल एवं वन विभाग के आपराधिक सफेद झूठ और नेताओं की उन से सांठगांठ ने बिलासपुर को कहीं का नहीं रखा। सरकंडा के एक कार्यक्रम में पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह और अमर अग्रवाल की मौजूदगी में कहा था कि महानगर या स्मार्ट सिटी किसे कहना चाहिये…उन्होंने कहा मेरे अपने विचार में जहां शुद्ध आबोहवा हो…स्वच्छ पर्यावरण हो…पीने का शुद्ध पानी हो…आपस में भाईचारा हो..हरे भरे वृक्षों की हरियाली और छांह हो..साथ ही अपराधों का स्तर शून्य हो… उसे ही महानगर या स्मार्ट सिटी कहा जाना चाहिए। इस लिहाज से तो बिलासपुर के कर्णधारों ने इस शहर को कहीं का नहीं रखा। एसईसीएल और उससे भी पहले वन विभाग के भ्रष्टाचार तथा एनटीपीसी के काले झूठ एवं इन सबसे पहले नेताओं की सांठगांठ और लोभ ने बिलासपुर को नारकीय कर दिया।
20 साल पहले का गर्मी का रिकॉर्ड ले कर देख लीजिए। बिलासपुर कभी भी प्रदेश के सबसे अधिक गर्म शहरों जिलों में नहीं रहा। लेकिन बीते पांच 7 सालों में एनटीपीसी एसईसीएल के पौधारोपण को लेकर सफेद झूठ, मंत्रियों और राजनेताओं तथा जिला प्रशासन की मिलीभगत से होने वाले वृक्षों के कत्लेआम के कारण आज बिलासपुर की जनता भुगत रही है। 40 डिग्री,44 डिग्री, 45 डिग्री और 46 डिग्री… यह सब एनटीपीसी एसईसीएल, राजनीतिज्ञों और विकास के दिवालिया मापदंडों के कारण आज बिलासपुर पर श्राप की तरह कहर बरपा रहा है। इसीलिए मेरा मानना यह है कि चाहे सड़क निर्माण के नाम पर या फिर एसईसीएल और एनटीपीसी जैसे संस्थानों की स्थापना के नाम पर वृक्षों का सामूहिक कत्लेआम ही इसके लिए जिम्मेदार है। हम आने वाली पीढ़ी के साथ वृक्षों के कत्लेआम को ना रोक पाने के अपराध के लिए क्षमा याचना के साथ, छायादार पेड़ों को काटकर लंबी-चौडी सड़कों का लोभ दिखाने वाली इस व्यवस्था को धन्यवाद देने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।
अगर इन सब की कृपा इसी तरह जारी रही तो तैयार रहिये…आने वाले दिनों में हमारे लिए 45 डिग्री, 46 डिग्री और 47, 48 डिग्री हर साल की आम बात हो सकती है। इसलिए हालात और तस्वीर बदलने एनटीपीसी एसईसीएल और कांक्रीटीकरण के अपराधियों के कान उमेठकर पूरे जिले और संभाग में वृक्षों की कटाई पर आगामी 50 सालों तक के लिए सख्त प्रतिबंध लगाए जाने के साथ ही जामुन बरगद आम इमली नीम और पीपल जैसे पौधों को पौधा रोपण को पहली और अनिवार्य शर्त बनाया जाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो बिलासपुर शहर और जिले का “राम नाम सत्य”होना तय है।