बिलासपुर

राज्योत्सव के कार्यक्रम में बिलासपुर के प्रथम नागरिक का अपमान… जिम्मेदार कौन..? बिलासपुर वालों को चना-मुर्रा समझना बंद करें प्रशासन..!

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(शशि कोन्हेर के साथ प्रदीप भोई) : बिलासपुर। 1 नवंबर को बिलासपुर के पुलिस मैदान में हुए राज्योत्सव के शासकीय सार्वजनिक कार्यक्रम में बिलासपुर के लोकप्रिय महापौर और प्रथम नागरिक श्री रामशरण यादव का जिस तरह अपमान किया गया वह नाकाबिले बर्दाश्त अर्थात अक्षम्य और असहनीय ही कहा जाएगा।‌ कार्यक्रम में बतौर अतिथि आमंत्रित कर जिस तरह उनका अपमान किया गया, उसके लिए जो दोषी हों, उन पर कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। ‌ यहां आपको यह बता दें कि कल पुलिस मैदान पर हुए इस आयोजन में संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। वहीं महापौर श्री रामशरण यादव को विशिष्ट अतिथि के रुप में ससम्मान आमंत्रित किया गया था। लेकिन जब कार्यक्रम शुरू हुआ और बिलासपुर शहर के प्रथम नागरिक श्री राम शरण यादव पुलिस मैदान पहुंचे तो ससम्मान प्रोटोकॉल के अनुसार वहां उन्हे रिसीव कर मंच तक ले जाने के लिए कोई भी अधिकारी नहीं था। जबकि यह न केवल शासकीय प्रोटोकॉल वरन आयोजकों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी थी कि वे अन्य अतिथियों की तरह ही महापौर श्री राम शरण यादव की पुलिस मैदान के द्वार पर ही अगवानी करते और उसके बाद उन्हें ससम्मान मंच तक ले जाते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। जब महापौर ने इस अपमानजनक बर्ताव को देखा तो उन्होंने मंच पर जाकर बैठने की बजाए सामान्य व्यक्ति की तरह आम जनता के बीच जाकर बैठना अधिक पसंद किया। बात यही तक नहीं रही। वरन मंच पर मौजूद जिम्मेदार आयोजको ने इस बार पर गौर ही नहीं किया कि महापौर कार्यक्रम में आकर पद और गरिमा के विपरीत बर्ताव होते देख जनता के बीच जाकर बैठ चुके हैं।

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आश्चर्य और शर्म की बात यह है कि महापौर को इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रुप में बुलाने वाले अधिकारियों ने भी इस बात की तस्दीक करना जरूरी नहीं समझा कि उन्होंने जिन विशिष्ट व्यक्तियों को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। उनमें से कौन-कौन कार्यक्रम स्थल पर आ चुके हैं और कहां-कहां बैठे हैं। लिहाजा बिना इस बात की चिंता किये कलेक्टर की अगुवाई में काम कर रहे आयोजक अधिकारियों ने राज्योत्सव का कार्यक्रम शुरू भी करा दिया। उस समय भी महापौर कार्यक्रम में आए हैं अथवा नहीं..? यह जानना किसी ने जरुरी नहीं समझा। हद तो तब हो गई जब कार्यक्रम शुरू होने के बाद मुख्य अतिथि का सम्मान तथा संबोधन इसके बाद पुलिस मैदान में चारों ओर लगे विभिन्न विभागीय स्टालों का निरीक्षण और वहां से वापस मंच पर आकर दीप प्रज्वल तथा राज्यगीत का गायन सहित तमाम कार्यक्रम संपन्न कर लिए गए। लेकिन इस दौरान भी किसी ने बिलासपुर के प्रथम नागरिक महापौर श्री रामशरण यादव की सुध नहीं ली। इस तरह की अपमानजनक उपेक्षा देख कर महापौर के साथ मौजूद लोगों का गुस्सा उमा पड़ा। तब उन्ही में से किसी ने मंच पर जाकर वहां मौजूद आयोजक अधिकारियों और कांग्रेस के नेताओं को इसकी सूचना दी। इस पर कुछ अधिकारी दौड़ते हुए महापौर तक गए और हांथ जोड़कर उन्हे मंच पर चलने के लिए अनुनय विनय करते रहे।

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लेकिन तब तक अपने साथ हुए अपमान से मर्माहत महापौर श्री रामशरण यादव का गुस्सा भड़क उठा था। यह देख मंच पर मौजूद अधिकारी और कांग्रेस नेता बुरी तरह हडबडाए। मंच पर से ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्री विजय केशरवानी भी मंच से उतरकर महापौर की ओर दौड़े। और इसके बाद लोगों ने विजय केशरवानी को महापौर के आगे हाथ जोड़कर उनकी मान मनुहार करते देखा गया।। लेकिन जैसा कि हम पहले भी बता चुके है कि तब तक स्टेज पर मुख्य अतिथि श्रीमती रश्मि आशीष सिंह का सम्मान, उद्बोधन स्टाल का निरीक्षण, दीप प्रज्ज्वलन, और राज्यगीत का गायन हो चुका था.. अब सवाल यह उठता है कि बिलासपुर जिला मुख्यालय पुलिस मैदान में राज्योत्सव जैसे शासकीय आयोजन में महापौर श्री रामशरण यादव के साथ हुए अपमानजनक बताओ कि लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है..? .. तो कल 1 नवंबर को पुलिस मैदान में हुए इस शासकीय आयोजन के मुख्य आयोजन अधिकारी जिला कलेक्टर बिलासपुर थे। उन्हें यह पता लगाना चाहिए कि आखिरकार इस भयंकर त्रुटि के लिए कौन जिम्मेदार है..? और उस पर अनुशासन की गाज भी गिराई जानी चाहिए। जिससे भविष्य में कोई ऐसा करने का दुस्साहस न कर सके।

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महापौर श्री रामशरण यादव बिलासपुर शहर के महापौर और प्रथ नागरिक है। फिर वे अपनी किशोरावस्था से बिलासपुर शहर में पूरे समर्पित भाव से जनता की सेवा में लगे हुए हैं। ऐसी शख्शियत के साथ अपमानजनक बर्ताव पूरे बिलासपुर की जनता का अपमान है। बीते चार सालों के दौरान बिलासपुर के विधायक श्री शैलेश पांडे के साथ शासकीय आयोजनों में अपमानजनक बर्ताव की घटनाएं बिलासपुर शहर कई बार देख चुका है। अब कल राज्योत्सव के दौरान हुई घटना ने बिलासपुर शहर के लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या शासकीय अमला बिलासपुर शहर और जिले के विधायकों जन नेताओं और आम जनता को चना-मुर्रा जैसा समझता है जो बार बार ऐसी हिमाकत की जाती है।

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और अंत में.. जो साथ नेता और जनप्रतिनिधि जिला प्रशासन के निमंत्रण के बाद भी इस आयोजन में नहीं पहुंचे। उन्हें इस बात के लिए बधाई कि उन्होंने इस आयोजन में ना आकर अपना मान सम्मान बचा लिया है। अगर यह भी आयोजन में पहुंचते तो उनके साथ…!

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