बिलासपुर

दुस्साहस…हाईकोर्ट के आदेश से खोला गया कोटा केंवची मार्ग.. वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने बंद कराया

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। पूरे प्रदेश की तरह बिलासपुर संभाग का वन विभाग भी जंगलों में वृक्षों की धड़ल्ले से हो रही अवैध कटाई और जानवरों के शिकार को बंद कराने की बजाय जंगल के तमाम रास्ते ही बंद कराने पर अधिक ध्यान दिया करता है। दरअसल वन विभाग के अधिकारी अलग-अलग तर्क देकर अपने वनक्षेत्र के चारों तरफ ऐसे बैरियर लगाने के पक्ष में रहते हैं। जिससे उसके भीतर ना तो मीडिया पहुंच सके और ना जनप्रतिनिधि ही वहां पर आना-जाना कर सकें।

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मतलब चारों और लगे बैरियर के भीतर हो रहा भ्रष्टाचार हमेशा हमेशा के लिए सुरक्षित…! मीडिया अथवा जनप्रतिनिधियों को भी वहां तभी अनुमति प्रवेश की मिलेगी जब वन विभाग चाहे..! जंगलों की मलाई खा रहे फॉरेस्ट अफसरों के ऐसे बेतुके-तुगलकी फरमानों से जंगलों के भीतर ना तो अवैध कटाई बंद होती है और ना ही वन्यजीवों का शिकार।

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वरन चारों ओर बैरियर और प्रवेश निषेध का बोर्ड लगाकर वन विभाग के आला अधिकारी जंगलों के भीतर हो रहे अवैध शिकार तथा अधिकारियों के भ्रष्टाचार की खबरों को बाहर नहीं आने देने का मुकम्मल इंतजाम कर लेते हैं। इसलिए ही आमतौर पर वन विभाग के अफसर अपनी ड्यूटी से कहीं अधिक जोर अचानकमार अभयारण्य में लोगों की आवाजाही के रास्ते बंद करने पर दिया करते हैं। ऐसी मानसिकता के तहत वाइल्डलाइफ बोर्ड ने अचानकमार अभयारण्य होते हुए कोटा से केवची तक जाने वाले जिस रास्ते को हाईकोर्ट के आदेश से खोला गया था, उसे फिर से बंद करने की हिमाकत कर यह बता दिया है कि उसे किसी की कोई परवाह नहीं है।

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एक सवाल यह उठता है कि क्या जंगलों की अवैध कटाई और वन्य प्राणियों के हो रहे शिकार के लिए वन विभाग के अफसरों का भ्रष्टाचार, लापरवाही और सांठगांठ ही अधिक जिम्मेदार नहीं है..? अच्छा होता कि अचानकमार अभयारण्य से अमरकंटक जाने वाले रास्ते को बंद करने की जगह वन विभाग और शासन इस बदनामशुदा महकमे के अफसरों के भ्रष्टाचार और जंगल काटने तथा वन्य प्राणियों का शिकार करने वाले माफिया से नापाक रिश्तेदारी पहले खत्म करे….वन विभाग, जंगलों में लगे वृक्षों और वहां स्वच्छंद विचरण करने वाले वन्य प्राणियों का इसी से अधिक भला होगा।

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