बिलासपुर

जिसने उन्हें जिस रूप में चाहा, भगवान ने उसी रूप में उसे दर्शन दिया : विजय कौशल जी महाराज (रामकथा का पहला दिन)

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – भगवान भाव के भूखे हैं, नाम तो भक्तों ने दिया हृदय से याद करने वाले को मिलते हैं भक्त वत्सल भगवान – संत विजय कौशल जी महाराज भक्तों के लिए भगवान ना तो सगुण हैं और ना ही निर्गुण भक्तों के लिए ही भगवान ने निराकार से नराअवातार लिया। उनका ना तो कोई नाम है और ना ही कोई रूप। जिसने उन्हें जिस रूप में चाहा भगवान ने उसी रूप में दर्शन दिया। भगवान खुद कहते हैं कि मैं भक्तों के नचाये नाचता हूं, क्योंकि मैं भक्तों के भावनाओं से जकड़ा हुआ हूं। यह बातें श्रीराम कथा के पहले दिन हजारों श्रद्धालुआंे के सामने अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता मानस मर्मज्ञ संत श्री विजय कौशल महाराज ने कही। उन्होंने बताया कि भगवान को तर्क की कसौटी पर नहीं उन्हें तो केवल भाव की कसौटी पर ही पाया जा सकता है। जब भी भक्त ने भाव में डूबकर उसे याद किया भगवान का दर्शन उसे जरूर मिला।

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लाल बहादुर शास्त्री मैदान आज पहले दिन कथा की शुरूआत भगवान शिव और पार्वती के संवाद से शुरू हुआ। माता पार्वती ने भगवान भोले नाथ से संपूर्ण रामचरित्र मानस सुनाने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि जहां भी राम कथा होती है वहां हनुमान जी तो बिन बुलाये ही चले आते हैं। साथ ही दिव्य ऋषि, महर्षि, परमहंस, प्रकृति और नदियां भी विभिन्न भेष धारण करके कथा में उपस्थित होती हैं। श्री विजय कौशल महाराज जी ने कहा व्यक्ति के भीतर व्यथा भरी हो तो उस बुजुर्ग की तो उसके घर वाले भी नहीं सुनते वहीं बूढ़े संत ऋषि को लोग लगातार सुनना चाहते हैं। जबकि बूढ़ा पेड़ सुंदर दिखने लगता है, उसके नीचे हम चबुतरा बनाकर बैठते हैं और दिया भी जलाते हैं।

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श्री विजय कौशल महाराज जी ने आगे कहा कि धर्म पत्नी का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए, जिसकी पत्नी घर में आंसू बहाती है उस घर में कभी बरकत, समृद्धि और शांति नहीं आ सकती। उन्होंने पाखंडियों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग सनातन हिन्दू धर्म के मान बिन्दूओं पर ढकोशला करते हैं और सीधे – साधे व्यक्तियों को बरगलाते हैं, जबकि सनातन धर्म के सारे कारकांश विज्ञान से जूड़े हुए हैं। आजकल पाखंडी लोग दिग्भ्रमित करने के लिए सूर्य को अर्ग देने या गंगा स्नान को लेकर निराधार बाते करते हैं। ऐसे तथाकथित लोगों से हमें बचकर रहना चाहिए। भगवान तो मंत्रों से नहीं भाव और करूण पुकार से आयंेगे। भक्त प्रहलाद, धु्रव, द्रोपती तथा गजराज इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि गंगा तो गंगा किनारे रहने वाले को पावन और पुनित करती है, लेकिन भगवान की कथा जहां पहुंचती है, पूरा वातावरण सुरम्य और बैकुंठ हो जाता है। आज कथा के पूर्व विभिन्न समाज सेवियों ने महाराज श्री का पुष्पहार से स्वागत वंदन किया। इस मौके पर रामकथा के मुख्य संरक्षक अमर अग्रवाल, श्रीमती शशी अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, पूर्व सांसद लखनलाल साहू, बेनी गुप्ता, रामवतार अग्रवाल, विनोद जैन, किशोर राय, सुनिल मारदा, सुभाष अग्रवाल, जवाहर सराफ, मदन शर्मा, बजरंग शर्मा, जगदीश केडिया, अर्जुन अग्रवाल, त्रिलोचन सिंह अरोरा, गोवर्धन वाधवानी, किशोर गेमनानी, विनोद मित्तल, जुगल अग्रवाल, शंकर कछवाहा, चंद्रप्रकाश मिश्रा, बंटी यादव, बंधु मौर्य, डाॅ. ललित माखिजा, नरेश शाह, जयश्री चैकसे, विभा गौरहा, संध्या सिंह, लक्ष्मी साहू, पुष्पा तिवारी, किरण मेहता, मनिषा नंदी, चंदना गोस्वामी, निता श्रीवास्तव, सुनिता मानिकपुरी, सोभा कश्यप, रेशु शर्मा, संतोषी देवांगन, कंचन दूसेजा, पूनम श्रीवास्तव, रिता भामरा, रजनी यादव, लता गुप्ता, अंजनी कश्यप, मीना गोस्वामी, ऊषा मिश्रा, जयश्री परमार, नमिता घोष, संध्या भंडारी, मीना उरांव, सीमा पाण्डेय, रश्मि मौर्य, संध्या चैधरी, वंदना डे, निरजा सिन्हा, दीप्ति बाजपेयी, अन्नपूर्णा तिवारी, रूपाली व्यास, सुनिता चैधरी, मोहिता शर्मा, रंजू जोबन पुत्रा, प्रतिभा शर्मा, विमला शर्मा सहित हजारों की संख्या में शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों लोग उपस्थित थे।

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