बिलासपुर

“विष्णु देव” की विदाई का यह मुहूर्त किसने निकाला….? पार्टी को अड़चन में डाल गया, भाजपा का ये दांव..!

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – भारतीय जनता पार्टी ने आज विश्व आदिवासी दिवस पर अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल कर “आ बैल मुझे मार” की तरह ही काम किया है। आज विश्व आदिवासी दिवस के दिन श्री विष्णु देव साय को हटाकर उनकी जगह बिलासपुर के सांसद श्री अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने अपने विरोधियों और सत्तापक्ष को खुद की आलोचना करने का एक आसान और मजबूत हथियार दे दिया है। यह बात अलग है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई में ऊपर से नीचे तक पार्टी संगठन में बदलाव की बातें एक लंबे अरसे से की जा रही थी। यह चर्चा भी विगत कई दिनों से चल रही थी कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्री विष्णु देव साय की जगह बिलासपुर के सांसद श्री अरुण साव को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। पता नहीं पार्टी के द्वारा ऊपर स्तर पर लिए गए इस निर्णय की घोषणा करने में इतना लंबा वक्त क्यों लग गया..? और अब जाकर ऐसे दिन इसकी घोषणा कर भाजपा निश्चित ही अड़चन में फंस गई है। विश्व आदिवासी दिवस के दिन यह बदलाव करने से भाजपा को विरोधियों के प्रहार का निशाना बनना पड़ रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि बिलासपुर के सांसद श्री अरुण साव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के समर्पित स्वयं सेवक फिर विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के समय से भारतीय जनता पार्टी के प्रखर और अनुशासित कार्यकर्ता रहे हैं।

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वे बिलासपुर के सांसद के रूप में सदन के भीतर और बाहर अपनी भूमिका काफी सक्रिय प्रभावशाली और गरिमामय ढंग से निभाते आ रहे हैं। प्रदेश में बहुत बड़ी संख्या में रहने वाले साहू समाज के लोगों को निश्चय ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्री अरुण साव की इस नियुक्ति से काफी अच्छा लगा होगा। लेकिन इसके लिए “दिन का चयन” जिन्होने भी किया हो। उन्हे निश्चित ही छत्तीसगढ़ और यहां बड़ी संख्या में रहने वाले आदिवासियों के महत्व का कोई ज्ञान नहीं रहा होगा। यह अलग बात है कि इस बदलाव के कारण आलोचना का शिकार होने के बाद पार्टी श्री विष्णु देव साय को जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट दर्जा देने की बात कर रही है। लेकिन अंतर्मन से स्वाभाविक रूप से श्री विष्णु देव साहेब को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की इस चर्चा को भी अब भाजपा की सियासी मजबूरी माना जा सकता है। अगर पार्टी की ऐसी मंशा है तो भी, कायदे से भाजपा नेताओं को पहले आज विश्व आदिवासी दिवस पर श्री विष्णुदेव साय को राष्ट्रीय जनजाति आयोग का अध्यक्ष बना लेना था। उसके बाद स्वाभाविक रूप से रिक्त हुए प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्री अरुण साव की नियुक्ति की घोषणा कर देनी थी। लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया..? इसका जवाब सिर्फ और सिर्फ भाजपा नेतृत्व के पास ही होगा। यह जाहिर बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल शुरू से ही ऐसे मौकों पर पलटवार करने का अवसर नहीं चूकते।

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उन्होंने भी भाजपा के द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के दिन विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने को आदिवासियों के प्रति भाजपा की मानसिकता से जोड़कर ताबड़तोड़ आरोप लगाने में कोई देरी नहीं की। प्रदेश अध्यक्ष श्री मोहन मरकाम ने भी इसे आदिवासी विरोधी कदम कह कर भाजपा को निशाना बनाने में पल भर भी विलंब ही किया।शायद इसीलिए पुराने बड़े बुजुर्ग किसी भी, बड़े से बडे और छोटे से छोटे काम, को करने के लिए शायद इसीलिए “दिन तिथि और मुहूर्त को काफी अहम माना करते थे। शायद भाजपा के नेता प्रदेश स्तर पर अपनी पार्टी में बदलाव लाने के दौरान इसी दिन तिथि और मुहूर्त का चयन करने में बहुत बड़ी गलती कर बैठे। और पार्टी नेताओं ने इस बड़े उलटफेर के लिए, आज विश्व आदिवासी दिवस का चयन कर राजनीतिक पर्यवेक्षकों को यह कहने का मौका दे दिया है कि… “विष्णु देव साय” की विदाई का यह मुहूर्त किसने निकाला…? पार्टी को अड़चन में डाल गया भाजपा का ये दांव..!

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