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कहां श्राद्ध पक्ष में, 50 रुपए में कौंव्वा लेकर आ जाता है, कौंव्वा वाला..?

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(शशि कोन्हेर) : दूषित होते पर्यावरण के कारण जिन पक्षियों का जीवन मुश्किल हो गया है। उनमें कौंव्वा भी एक है। पहले देश के गांव शहर और कस्बों में हर घर की मुंडेर पर कांव-कांव करते हुए कौंव्वे मिल जाया करते थे..! लेकिन अब कम से कम शहरों में तो उनके दर्शन मुहाल हो गए हैं। श्राद्ध पक्ष में कौव्वों के महत्व से सभी वाकिफ हैं। पितरों को चढ़ाए जाने वाले खीर पूड़ी सहित सभी पकवान सबसे पहले कौंव्वौं को खिलाने की परंपरा रही है। लेकिन इधर दूषित होते पर्यावरण के कारण कौंव्वों की संख्या शहरों में तो नगण्य सी हो गई है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान किसी-किसी को ही कौंव्वा नसीब हो पाता है। इस मुश्किल का महाराष्ट्र के कुछ शहरों में एक नया ही इलाज खोज निकाला गया है। वहां पितृपक्ष के कुछ पहले, कुछ लोग कौंव्वों को पकड़ लेते हैं। और फिर फोन करने पर प्रति ग्राहक 50 रुपय लेकर पितर के पूड़ी, खीर समेत पकवान का भोग लगाने के लिए कौंव्वा लेकर आ जाते है। हम यहां ऐसा ही एक वीडियो आपके साथ साझा कर रहे हैं। जिसमें एक कौंव्वा वाला, एक कॉलोनी के लोगों से 50-50 रुपए लेकर पितर के नाम से बनाए गए खाद्यान्न का भोग “नेंग” के लिए कौंव्वे को करा रहा हैं। (वीडियो सौजन्य-बबलू मदने)

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