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ज्ञानवापी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष….हिंदू पक्ष ने मांगी प्रतीकों की सुरक्षा

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(शशि कोन्हेर) : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के मामले में मुस्लिम पक्ष ने इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। दरअसल, उच्च न्यायलय ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI के तरफ से मस्जिद परिसर के सर्वे को मंजूरी दी गई थी।

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एक ओर जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि जहां 350 सालों से नमाज हो रही है, वह जगह मस्जिद ही है। वहीं, भाजपा नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने मुस्लिम पक्ष से अपील करते हुए कहा कि सच को सामने आने दें। सर्वे पर रोक ना लगवाएं। राम मंदिर मामले में भी ऐसा हुआ था, लेकिन सैकड़ों सालों के बाद न्याय मिला। समाजवादी पार्टी सांसद एसटी हसन का कहना है कि हमें उम्मीद है कि एएसआई निष्पक्ष जांच करेगा।

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गुरुवार को इलाहबाद हाईकोर्ट की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया गया। याचिका में जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद परिसर के सर्वे की अनुमति दी गई थी। हाईकोर्ट का कहना है कि न्याय के हित में ASI सर्वे जरूरी है और इसे किया जाना जरूरी है।

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मीडिया से बातचीत में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद कॉम्प्लेक्स का ASI सर्वे शुरू हो सकता है। उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है।’

ASI की तरफ से इस मामले में दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि सर्व में मस्जिद परिसर को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। अब सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर का कहना है कि ASI की बात नहीं मानने की कोई वजह नहीं है।


खास बात है कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू प्रतीकों की सुरक्षा के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट में नई याचिका दायर हुई है। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में याचिका दायर करने वाली राखी सिंह की तरफ से ही यह याचिका भी दायर की गई हैं। PIL में कहा गया है कि परिसर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगनी चाहिए और ज्ञानवापी परिसर में हिंदू प्रतीकों की सुरक्षा के आदेश दिए जाने चाहिए।

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