छत्तीसगढ़

क्षेत्र के उन समितियों का  काला सच जहां शासकीय राशि  गबन किये गये– आज भी चर्चा आम है

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(शशि कोन्हेर) : लखनपुर+(सरगुजा) : प्रदेश सरकार के सहकारिता विभाग द्वारा किसानों के हित में बनाये गये क्षेत्र के उन समितियों का  काला सच जो चर्चित  एव सुर्खियों में रही। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित शाखा लखनपुर के अन्तर्गत प्रमुख समिति  चांदो जहां     08  भूमिहीन   कृषकों   के नाम   पर    कुटरचित तरीके से के सी सी दस्तावेज तैयार कर सस्था के कर्मचारियों द्वारा संस्था का 2379763 /रूपये एवं संस्था के ही ट्रेक्टर ट्राली खरीदी किये जाने का 759475/ लैपटाप 51000/ रूपये  का फर्जी बिल तैयार कर  कुल जुमला 3190238/ रूपये वर्ष 2019 से 2021 के मध्य संस्था के सभी कर्मचारियों  द्वारा मिलकर राशि आहरण कर गबन किया गया।

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इस प्रकरण में दोषी लोगों पर कार्यवाही भी हुई। इसी तरह निम्हा समिति में  वर्ष 2022-23 के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए शासन द्वारा बारदाना  सप्लाई की गई जिसमें 2284  नग मार्कफेड का अवैध बारदाना जो  समिति गोदाम में न होकर  गांव के एक व्यक्ति के घर में नाजायज तरीके से रखा गया पाई गई थी जिसे तत्कालीन नायाब तहसीलदार आईं सी यादव एवं उनके टीम द्वारा जप्त की गई थी। जिसका  राजफाश नहीं हो सका।

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आखिर यह बारदाना समिति के बजाय  एक आम आदमी के घर में क्यों रखा गया था अपने आप में रहस्य है । वहीं वनांचल ग्राम कुन्नी में समिति प्रबंधक द्वारा लाखों रूपये गबन किया गये। इसी कड़ी में  आदिम जाति सेवा सहकारी समिति ग्राम लहपटरा में समिति प्रबंधक के काले कारनामों का चर्चा सरे बाजार होता रहा।

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इतना ही नहीं  ग्राम अमेरा के पुहपुटरा उप धान खरीदी केंद्र में समिति प्रबंधक एवं उनके सहयोगी कर्मीयों द्वारा मिलरर्स को 1550 किविन्टल कम  धान परिदान किया गया जिसमें समिति कर्मचारीयों ने  3162000 / रूपये का गबन सिद्ध हुआ आरोपी जेल भेजे गए। ग्राम चांदो के आदिम जाति सहकारी समिति में आज भी धान के अफरा तफरी करने वाले सजा याफ़्ता व्यक्ति को समिति प्रबंधक बना कर रखा गया है ।

जिसे स्थानीय जनप्रतिनिधि  बखूबी जानते हैं  उक्त समिति प्रबंधक को हटाये जाने जिला कलेक्टर के सम्मुख जनप्रतिनिधियों ने ज्ञापन भी सौंपे थे  परंतु इस फार्मुले का कोई असर नहीं हुआ और ओ शख्स  समिति प्रबंधक के अपने पद पर आज भी आसिन है।

इस तरह ब्लाक क्षेत्र के कुछ समितियों को छोड़ कर  बनाये गये समितियों में भारी अनियमितता एवं फर्जीवाड़ा हुई है। क्षेत्र के कुछ सजग लोगो का कहना  है सहकारिता विभाग द्वारा संचालित इन समितियों के गर्त मे और भी राज दफन है ।जो आम जनता के समझ से परे है । सहकारिता विभाग द्वारा बनाए गये समितियों में हुये शासकीय धन राशि का गबन सहकारिता विभाग के द्वारा संचालित क्षेत्र के इन समितियों के लिए  काला अध्याय है।

जिस किसान के नाम पर   मुठ्ठी भर जमीन नहीं है और उस किसान के नाम पर फर्जी तरीके से  ऋण स्वीकृत करा समिति प्रबंधक डकार गए शासन प्रशासन को खबर हुई मगर देर से ! क्षेत्र के किसानों का कहना है खाद बीज   विक्रय में भी आदिम जाति सहकारी समितियो  में भारी अनियमितता बरती गई होगी। यदि  जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा द्वारा बनाये गये सभी समितियों का वर्ष वार के आय व्यय का सुक्ष्म एवं निष्पक्ष जांच किया जाये तो यकीनन कई सालों से किये गये घोटालों का पर्दाफाश हो सकता है तथा बड़े बड़े धोखेबाज के चेहरों से नकाब उतर सकता है। 

धान खरीदी घोटाले के अलावा केसीसी ऋण ,बैंकिंग ऋण, तथा फसल बीमा योजना के हितग्राहीयो को कितना फायदा हुआ और कब कब फसल बीमा का राशि प्रभावित किसानों को वितरित किया गया। ये सब जांच का विषय है।
क्षेत्र के लोगो का कहना है यदि शासन प्रशासन स्तर से  सभी  सोसाइटियों के पिछले कुछ सालों  के   ऋण, आय व्यय   का निष्पक्ष एवं सुक्ष्म जांच किया जाये तो इन सहकारी समितियों में हुये बहुत सारे फर्जीवाड़े का राज खुल सकता हैं।


विभागीय अधिकारी कर्मचारीयों तथा सहकारी समितियों में बैठे समिति प्रबंधको  द्वारा किए घोटालों की हकीकत सामने आ सकती हैं ।


क्षेत्र के कृषकों का कहना है सहकारिता विभाग द्वारा बनाये गये सभी समितियों का जांच हो तब हकीकत सामने आ जायेगी अब देखनेवाली बात होगी कि इन आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों का जांच शासन प्रशासन स्तर से होता है या नहीं समय पर ही मालूम हो सकेगा।

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