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ममता सरकार को सुप्रीम झटका, रामनवमी पर हुई हिंसा की जांच करने के लिए NIA को हरी झंडी

(शशि कोन्हेर) : सुप्रीम कोर्ट ने रामनवमी उत्सव के दौरान हुई हिंसा की जांच एनआईए को सौंपने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज की। अदालत का कहना था कि मामले की गंभीरता को देखकर एनआईए जांच की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता।

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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने ममता सरकार की याचिका पर सुनवाई की। बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल रहे। रामनवमी हिंसा के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र ने स्वतः संज्ञान लेकर एनआईए एक्ट की धारा 6(5) के तहत एजेंसी को आदेश दिया था कि वो पश्चिम बंगाल की हिंसा की जांच करे। बेंच का कहना था कि ममता सरकार ने केंद्र के इस नोटिफिकेशन को चुनौती नहीं दी है। सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति है जिसमें 31 मार्च से 3 अप्रैल के बीच विभिन्न थानों में दर्ज 6 FIR एनआईए के पास ट्रांसफर की गई हैं।

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सीजेआई की बेंच ने कहा- हम SLP पर सुनवाई नहीं करने जा रहे
ममता सरकार की याचिका पर सीजेआई की बेंच ने कहा कि हम विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने 6 मामलों की जांच को एनआईए को स्थानांतरित करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि हिंसा में किसी भी विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं हुआ था। यह निर्देश राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर राजनीति से प्रेरित जनहित याचिका पर पारित किया गया।

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बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने दायर की थी PIL
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल को रामनवमी उत्सव के दौरान और उसके बाद हावड़ा के शिबपुर और हुगली के रिसड़ा में हिंसा की घटनाओं की एनआईए से जांच कराने का आदेश दिया था। यह आदेश शुभेंदु अधिकारी की जनहित याचिका और इन दो स्थानों पर हुई हिंसा की एनआईए जांच की मांग करने वाली तीन अन्य याचिकाओं पर पारित किया गया था।

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