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हेमंत सोरेन पर सरयू राय के दावे से मची खलबली… रहेंगे कि जाएंगे, कर दिया बड़ा इशारा… फोन टेपिंग के खोले पोल

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(शशि कोन्हेर) : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता मामले में चुनाव आयोग द्वारा राजभवन को प्रेषित पत्र के मजमून का भले ही अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है, लेकिन पूर्व में कई घोटालों को सतह पर उजागर करने वाले राज्य सरकार के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय का दावा है कि राज्यपाल को भेजे गए चुनाव आयोग के पत्र के मजमून से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वाकिफ हैं

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उन्होने दावा किया है कि इस घटनाक्रम के पहले दिन से ही प्रासंगिक बातचीत का रिकार्ड है। हालांकि उन्होंने इसे लेकर इशारों-इशारों में बात की है। उन्होंने इस संबंध में ट्वीट किया है कि राजभवन में रखा लिफाफा बंद नहीं है। वह तो कब का खुल चुका है। ऐसा नहीं कि पत्र के मजमून से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अनभिज्ञ हैं। उनकी फोनटेपिया (फोन टेप करने वाली) मशीनरी के पास प्रासंगिक वार्तालाप का रिकार्ड पहले दिन से है। दोनों खेमों से आए दिन हो रही बयानबाजी जगे को जगाने की कोशिश जैसी है। यह रहस्य बेपर्द होना चाहिए।

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चुनाव आयोग के लिफाफे को लेकर खूब हो रही बयानबाजी

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चुनाव आयोग द्वारा प्रेषित पत्र को लेकर 25 अक्टूबर से बयानबाजी का दौर चल रहा है। बीते शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वे पहले ऐसे अपराधी हैं जो सजा सुनाने की मांग कर रहे हैं। अगर वे दोषी हैं तो सजा बताई जाए। इसके बाद रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से बयान जारी कर दावा किया गया कि राजभवन के पास दिल्ली से दो लिफाफे आए हैं।

एक लिफाफा चुनाव आयोग का तो दूसरा भाजपा मुख्यालय का है। इससे पहले 25 अक्टूबर को चुनाव आयोग के पत्र के बाद सत्तारूढ़ दल के विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश बड़े पैमाने पर हुई। विशेष विमान से विधायक रायपुर भेजे गए। विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पारित हुआ। यूपीए का प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में राज्यपाल रमेश बैसे से मुलाकात कर आग्रह कर चुका है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी। चुनाव आयोग को भी अधिवक्ता के जरिए पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई। आयोग ने इसे राज्यपाल का विशेषाधिकार बताया। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य विनोद पांडेय ने सूचना अधिकार कानून के तहत राज्यपाल सचिवालय से जानकारी मांगी है।

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