बिलासपुर

ससुराल वालों की प्रताड़ना से भागा घरजमाई, पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका लगा ससुराल वालों पर पति के अपहरण का लगाया आरोप, चीफ जस्टिस की डीबी ने सुनवाई के दौरान कहां,”दिस इज नॉट फैमली कोर्ट”….

(आशीष मौर्य) : बिलासपुर – हाइकोर्ट में एक अजीबो गरीब मामले की सुनवाई हुई,जिसमे पिछले वर्ष शादी होने के बाद घरजमाई बन कर रह रहे युवक ने ससुराल वालों की प्रताड़ना के चलते अपने घर वापसी कर ली थी, पर युवक की पत्नी ने उल्टा अपने ससुराल वालों पर पति का अपहरण कर लिये जाने का आरोप लगाते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी,जहां आज हुई सुनवाई के बाद सारी स्थिति स्प्ष्ट होने के बाद अदालत ने याचिका लगाने वाली पत्नी को जम कर फटकार लगाई हैं।

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मामले में मिली जानकारी के अनुसार शुभम विहार निवासी 35 वर्षीय अमित पांडेय का विवाह 19 मई 2020 को गौरी गणेश कालोनी निवासी युवती आस्था पांडेय से हुई थी। अमित पांडेय को अपने पिता की जगह अनुकम्पा नियुक्ति मिली हैं और वह वर्तमान में रामदुलारे स्कूल सरकंडा में क्लर्क के पद पर पदस्थ हैं। अनुकम्पा नियुक्ति मिलने की वजह से अमित पांडेय पर माँ व दो छोटे बेरोजगार भाइयों की भी जवाबदारी थी आरोप है कि उनकी पत्नी आस्था को भाई व माँ की जवाबदारी उठाना फूटी आँख नही सुहाता था,जिसके चलते वह अपने पति को ले कर अपने मायके चली गई और दबावपूर्वक अपने पति को घर जमाई बना कर रख लिया।

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आस्था पांडेय व उसके घरवालों के द्वारा पति अमित पांडेय को अपने माँ व भाई से बात करने नही दिया जाता था व माँ व भाई से किसी भी किस्म का सम्बंध रखने पर आत्महत्या की धमकी दी जाती थी,यही नही अमित के वेतन के सारे पैसे भी आस्था द्वारा रख लिए जाते थे। स्कूल जाने के लिये रोजाना पेट्रोल के पैसे के लिये भी रोजाना ससुराल वालों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता था। पत्नी व ससुराल वालों की रोजाना की प्रताड़ना से तंग आ कर अमित पांडेय 12 अक्टूबर को किसी तरह थाना पहुँचे।

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सिविल लाइन थाना पहुँच कर लिखित आवेदन देते हुए अमित पांडेय ने अपने प्रताड़ना की दास्तान सुनाई। आवेदन में अमित ने पुलिस को बताया कि मुझे व मेरे घर वालो को मेरे ससुराल वालों से जान का खतरा है व इससे पूर्व भी मेरे माताजी के साथ घर घुस कर मेरे ससुराल वालों द्वारा मारपीट की गई हैं। अमित पांडेय द्वारा ससुराल न जा कर अपने माँ के घर ही रहने की बात पुलिस को कही।

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पत्नी ने पहले करवाई गुमशुदगी,फिर ससुराल वालों द्वारा बंधक बनाने का आरोप लगा लगाई याचिका.

दूसरी तरफ अमित पांडेय की पत्नी आस्था पांडेय भी पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने सिविल लाइन थाने पहुँच गई। पूर्व में अमित पांडेय द्वारा दिये गए आवेदन की अनभिज्ञता के चलते थाने में उपस्थित दिवस अधिकारी ने मामले में गुमशुदगी दर्ज कर ली। आस्था पांडेय ने पुलिस अधीक्षक के पास पहुँच कर भी अपने पति के गायब होने व ससुराल वालों के द्वारा पति का अपहरण कर लिए जाने की शिकायत की।

एसएसपी दीपक झा ने अपहरण की बात सुन कर मामले को गम्भीरता से लेते हुए सिविल लाइन टीआई सनिप रात्रे को जल्द से जल्द अमित पांडेय को बरामद कर उसके बयान लेने के निर्देश दिये। एसएसपी के आदेश के बाद युवक अमित की तलाश कर उसका बयान लिया गया,जिसमे उसने स्प्ष्ट बताया कि वह अपनी मर्जी से ही अपने घरवालों के साथ रहने आया है और आगे भी यही रहना चाहता हैं। अपहरण जैसी कोई बात नही होने पर मामले को पुलिस ने निराकृत कर दिया।

पुलिस के बाद लगाई हाइकोर्ट में याचिका,सास व दोनो देवरो को भी बनाया पक्षकार.

आस्था पांडेय के द्वारा पुलिस के बाद हाइकोर्ट में भी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई गई, और बताया गया कि मेरे सास व देवर ने मेरे पति का अपहरण कर लिया है। मामले में अपनी सास व दोनो देवरो को भी पक्षकार बनाया गया था। याचिका में बताया गया था कि मेरे पति की मानसिक स्थिति ठीक नही है जिसका फायदा उठा कर उन्हें ससुराल वालों द्वारा बंधक बना लिया गया हैं। मामले में चीफ जस्टिस की बैंच ने बिलासपुर पुलिस अधीक्षक को आस्था पांडेय के पति अमित पांडेय को अदालत के समक्ष पेश करने के निर्देश दिये थे।

सुनवाई में याचिकाकर्ता को पड़ी जम कर फटकार,कोर्ट ने कहा “दिस इज नाट ए फैमली कोर्ट”

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी व जस्टिस संजय के अग्रवाल की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई। हाइकोर्ट के द्वारा पति को आज पेश करने के आदेश चलते सिविल लाइन टीआई सनिप रात्रे ने युवक्ति के पति अमित पांडेय को ले कर पहुँचे। जहां कोर्ट को अमित पांडेय ने बताया कि मैं किसी के दबाव के चलते नही बल्कि अपनी स्वयं के मर्जी से अपने घर अपनी माँ व भाइयों के पास रहने के लिए आया हु व भविष्य में भी ससुराल में न रह कर अपने घर मे ही अपने माँ व भाइयों के पास रहना चाहता हु। याचिका में मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की बात कहे जाने के मद्देनजर अदालत ने सत्यता परखने की दृष्टि से अमित पांडेय से कई सवाल किया गया जिसका अमित पांडेय द्वारा सटीक व सही जवाब दिया गया। जवाब सुन कर युवक के मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने की पुष्टि अदालत को हो गई।

युवक अमित पांडेय के बयान के बाद सारी स्थितियां कोर्ट के समक्ष स्प्ष्ट हो गई,पर युवक्ति आस्था पांडेय के अधिवक्ता के द्वारा अमित पांडेय के वेतन का अधिकतर हिस्सा घर किश्त में जाने समेत कई घरेलू मुद्दों को उठाया जाने लगा जिससे नाराज कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि “दिस इज नॉट ए फैमली कोर्ट”( अर्थात यह परिवार न्यायालय नही है)। यहां जो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगी थी,उसमे युवक के बयान के बाद अदालत के समक्ष स्थितियां स्प्ष्ट हो चुकी हैं। ये फैमली कोर्ट नही है, लिहाजा फैमली से जुड़े मैटर बता कर अदालत का कीमती समय नष्ट न किया जाए। याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति से कोर्ट रूम में थोड़ी देर बात करने की अनुमति माँगी, जिस पर अदालत द्वारा उसके पति अमित पांडेय की इक्षा पूछी गयी। अमित पांडेय द्वारा अपनी पत्नी से बात करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया गया। जिसके बाद अदालत ने इसकी अनुमति नही दी। इसके साथ ही याचिका निराकृत कर दी गई।

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