बिलासपुर

हसदेव बचाओ पदयात्रा पर निकले पदयात्री पहुंचे रतनपुर, 13 अक्टूबर को राजधानी में मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौपेंगे ज्ञापन…..

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(विजय दानिकर) : बिलासपुर – हसदेव नदी,जंगल और पर्यावरण को बचाने तथा आदिवासियों की आजीविका,संस्कृति और अस्तित्व को बचाने के लिए 04 अक्टूबर से फतेहपुर सरगुजा से निकले हसदेव बचाओ पदयात्रा के पदयात्री शुक्रवार शाम को रतनपुर पहुंचे। जिन्होंने स्थानीय पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि फतेहपुर क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है। बावजूद इसके सरकार आदिवासियों और वन निवासियों के अधिकारों का हनन कर खनन कंपनियों के साथ मिलकर जंगल जमीन और आदिवासियों को उजाड़ रही है। इससे यहां जलवायु परिवर्तन का खतरा भी सर पर मंडरा रहा है।

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आपको बता दे कि रतनपुर पहुंचे पद यात्रियों ने बताया कि हसदेव अरण्य उत्तरी कोरबा,दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले में स्थित एक विशाल और समृद्ध वन क्षेत्र है, जो जैविक विविधता से परिपूर्ण है। यह इलाका मिनीमाता बांगो बांध का केचमेंट एरिया भी है। इस बांध से जांजगीर चांपा, कोरबा, बिलासपुर क्षेत्र में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराई जाती है। यह इलाका हाथियों का प्राकृतिक आवास भी है । 2010 में इस क्षेत्र को नो गो क्षेत्र घोषित किया गया था लेकिन कॉरपोरेट्स के दबाव में अब ग्राम सभाओं के प्रस्ताव को भी खारिज कर इस इलाके में कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है। आरोप है कि अब यहां राज्य सरकार द्वारा भू अधिग्रहण कर व्यवसायिक घरानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।आदिवासियों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की जो सरकार केंद्र पर अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाती है, राज्य में वही कांग्रेस की सरकार अडानी के लिए आदिवासियों से भू अधिग्रहण कर रही है। इस मुद्दे पर 2019 में ग्राम फतेहपुर में 75 दिनों तक धरना प्रदर्शन किया गया लेकिन फिर भी किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी ।अब इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने की तैयारी है, जिसके लिए पदयात्री 300 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए रतनपुर पहुंचे हैं।
शनिवार को यह लोग बिलासपुर पहुंचेंगे और फिर 13 अक्टूबर को राजधानी रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे जिसके माध्यम से हसदेव वन क्षेत्र में सभी कोयला खदानों को निरस्त करने, बिना ग्राम सभा के सहमति के अरण्य क्षेत्र में किए गए भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त करने, पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्राम सभा से अनिवार्य सहमति का नियम लागू करने,परसा कोल ब्लॉक के लिए फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त करने एवं ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी और कंपनी पर एफ आई आर करने,घाट बर्रा के निरस्त सामुदायिक वनाधिकार को बहाल करते हुए सभी गांव में सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता देने, पेसा कानून 1996 का पालन करने जैसी मांग की जाएगी।

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