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देश में एक बार फिर, कोयले की कमी के, दिखने लगे आसार…..

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(शशि कोन्हेर) : बीते कुछ दिनों से पूरे देश में भीषण गर्मी के साथ ही बिजली की मांग भी पूरी रवानी पर है। ऐसे में देश के सभी राज्यों और बिजली उत्पादक प्रदेशों पर विद्युत के अधिकारी उत्पादन का दबाव बढ़ते जा रहा है। लेकिन यहां मिल रहे संकेतों के मुताबिक कोयले की कमी के कारण देश के विद्युत संयंत्र बिजली की कमी को पूरा करने में असमर्थ होते जा रहे हैं। इन स्थितियों को देखते हुए यह सवाल उठने लगा है कि देश क्या एक बार फिर एक बड़े बिजली संकट में फंसने की तरफ अग्रसर है। संकेत तो कुछ ऐसे ही हैं। घरेलू कोयला उत्पादन में ज्यादा वृद्धि नहीं हो रही है जबकि बिजली की मांग बढ़ने से कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर ज्यादा उत्पादन का दबाव है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला इतना महंगा हो चुका कि आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों ने तकरीबन आयात बंद कर दिया है। हालात की जानकारी केंद्रीय बिजली मंत्रालय को भी है और मंगलवार को बिजली मंत्री आर के सिंह ने आयातित कोयला आधारित संयंत्रों की समीक्षा और राज्यों की तरफ से आयात किये जाने वाले कोयले की स्थिति की भी समीक्षा की।

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उन्होंने घरेलू कोयले की दिक्कत देखते हुए सभी ताप बिजली संयंत्रों को 10 फीसद तक आयातित कोयला घरेलू कोयला में मिलाने का सुझाव भी दिया लेकिन जिस तरह से कोयला मंहगा हुआ है उसे देखते हुए इस सुझाव पर अमल होना असंभव दिख रहा है।

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