छत्तीसगढ़

हर्षोल्लास के साथ मनाई गई महावीर जयंती

(राम प्रसाद गुप्ता मनेंद्रगढ़) : मनेन्द्रगढ़। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। इस साल महावीर जयंती 03 अप्रैल को मनाई गई। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडग्राम में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थकर माने जाते है। इन्होंने लोगों को हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था। भगवान महावीर स्वामी के जन्मदिन को लोग महावीर जयंती के रूप में मनाते है। 30 वर्ष की आयु में इन्होंने राज महलों के सुख को त्याग कर सत्य की खोज में जंगलों की ओर चले गए। घने जंगलों में रहते हुए इन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके बाद ऋजुबालुका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
भगवान महावीर ने समाज के सुधार और लोगों के कल्याण के लिए उपदेश देना शुरू कर दिया था। उन्होनें अपने उपदेशों में सत्य, असत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य पर बहुत अधिक जोर दिया था और साथ ही अहिंसा परमो धर्म: के संदेश को भी लोगों तक फैलाया था।

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महावीर जयंती के उपलक्ष्य में मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई जिसके बाद विशाल शोभायात्रा श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर से शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए श्री शांतिनाथ जिनालय मंदिर तक गई एवं वहां श्री जी का अभिषेक पूजन किया गया। शोभा यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया एवं पूरा शहर जियो और जीने दो के नारे से गुंजायमान हुआ। संध्या को विशेष महा आरती का आयोजन श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में किया गया। इस दौरान जैन समाज के अनुयाई बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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