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अमेरिका को भारत ने सुनाई खरी-खरी… भारत किसी तरह के प्रतिबंधों की परवाह..!

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(शशि कोन्हेर) : रूस पर भारत के रुख को लेकर कई मुद्दों पर बढ़ते अमेरिकी दबाव के बीच भी भारत पीछे हटता नजर नहीं आ रहा है। रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीदी को लेकर भारत पर लगातार अमरीकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह किसी तरह के प्रतिबंध की परवाह किए बिना अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। विदेश मंत्री श्री जयशंकर ने इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका का कानून है। वह चाहे जो करें। लेकिन भारत किसी भी तरह के प्रतिबंध की परवाह नहीं करता उसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की परवाह है। एस जयशंकर ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि अगर रूस से मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिका भारत पर CAATSA कानून के तहत प्रतिबंध लगाना चाहता है तो लगा सकता है, भारत को अपनी सुरक्षा की परवाह है. CAATSA अमेरिका का एक कानून है जिसके तहत वो रूस से अहम रक्षा सौदे करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है. भारत ने जब रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम का सौदा किया तब अमेरिका की तरफ से ये संकेत दिए गए थे कि अमेरिका भारत पर इस कानून का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन अमेरिका ने उस वक्त कोई प्रतिबंध नहीं लगाया.

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यूक्रेन पर रूसी हमला और भारत का अमेरिकी पाले में न जाना- इन बातों को लेकर ऐसा कहा जाने लगा है कि अब अमेरिका भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगा सकता है. इसी चर्चा को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, ‘ये उनका कानून है और उन्हें जो करना है, वो करेंगे ही. जयशंकर ने इस बयान से स्पष्ट कर दिया कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बिना अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाएगा.

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रूस से तेल खरीद पर भी बोले जयशंकर

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एस जयशंकर फिलहाल भारत-अमेरिका टू-प्लस-टू वार्ता को लेकर अमेरिका में मौजूद हैं. अमेरिका में कई मुद्दों पर दिए गए उनके बयान काफी चर्चा में हैं. रूस से भारत की तेल खरीद पर अमेरिकी दबाव का भी उन्होंने करारा जवाब दिया है. दरअसल, भारत रूस पर अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रतिबंधों के बावजूद भी उससे तेल खरीद रहा है जिसे लेकर अमेरिका लगातार भारत पर तेल न खरीदने का दबाव बना रहा है.

इसे लेकर एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री ऑस्टिन लॉयड के साथ सोमवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत की तरफ उंगली उठाने से पहले यूरोप की तरफ ध्यान दिया जाए.

उन्होंने कहा, ‘अगर आपको रूस से भारत की ऊर्जा खरीद की चिंता है तो मेरा सुझाव है कि आपको यूरोप पर ध्यान देना चाहिए. हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से जितना तेल एक माह में खरीदते हैं उतना यूरोप 1 दिन में खरीद रहा है।

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