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अहम मोड़ पर ज्ञानवापी मस्जिद केस… सबूतों के लिए होगी, 6 मई को वीडियोग्राफी

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(शशि कोन्हेर) : वैसे तो संसद से ही तय कर दिया गया है कि किसी धार्मिक स्थल की स्थिति वैसी ही रहेगी, जैसी 15 अगस्त, 1947 को थी। केवल अयोध्या रामजन्मभूमि मामले को इससे छूट दी गई थी और कोर्ट के आदेश पर ही वहां मंदिर का निर्माण चल रहा है। लेकिन वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद केस में जिस तरह अदालत के निर्देश आ रहे हैं वह रोचक हो सकता है। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने हिंदू पक्ष की मांग पर अधिवक्ता आयुक्त (एडवोकेट कमिश्नर) को ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जाकर मुआयना करने और वीडियोग्राफी के साथ अदालत में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

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यह पहला मौका है, जब ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष के दावे को साबित करने के लिए साक्ष्य जुटाने का काम शुरू हुआ है। कानून में किसी केस को साबित करने के लिए साक्ष्यों की निगाह से यह आदेश मील का पत्थर साबित हो सकता है। एडवोकेट कमिश्ननर की रिपोर्ट 10 मई को दाखिल होनी है। एडवोकेट कमिश्नर ने पक्षकारों को छह मई को मौके का मुआयना और वीडियोग्राफी शुरू करने की सूचना दे दी है और उस दिन वहां उपस्थित रहने को कहा है।

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अयोध्या राम जन्मभूमि केस में ऐसे ही हुई थी शुरुआत

ऐसी ही शुरुआत अयोध्या राम जन्मभूमि केस में हुई थी, जब फैजाबाद के सिविल जज ने एक अप्रैल, 1950 को विवादित स्थल का नक्शा तैयार करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। कोर्ट कमिश्नर ने उसी साल अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की थी। पूरे मुकदमे के दौरान हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उस रिपोर्ट पर चर्चा हुई। वह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हिस्सा है।

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