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12 घण्टो के बाद भी नही हो पाई हैं नोटों की गिनती….इतना कैश की मशीनों के लिए भी गिनना मुश्किल

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रांची में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद नोटों के पहाड़ की जो तस्वीर सामने आई उसका पूरा हिसाब किताब 12 घंटे बाद भी नहीं लगाया जा सका है। सुबह से शाम तक छह मशीनों से लगातार कैश काउंटिंग का काम चलता रहा। शाम करीब 5 बजे तक 30 करोड़ की गिनती हो चुकी थी, लेकिन अब भी बड़ी मात्रा में नोटों की ऐसी गड्डियां बांकी हैं, जिनको नहीं गिना गया है। फाइनल आंकड़ा 40 से 50 करोड़ तक जाने की उम्मीद है।

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सूत्रों ने बताया कि शाम तक कम से कम छह मशीनों से लगातार गिनती की गई। लगातार काम करते रहने से बीच में कुछ मशीनें जवाब दे गईं। उनकी जगह नई मशीनों को लगाया गया। बताया जा रहा है कि कैश काउंटिंग और छापेमारी में बरामद की गई संपत्तियों को हिसाब-किताब लगाने में ईडी और बैंक अधिकारियों को अभी काफी मेहनत करनी होगी। जिस कमरे से नोटों का यह पहाड़ मिला है वह जहांगीर खान नाम के एक शख्स का है।

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‘कुबेर के खजाने’ पर बैठा जहांगीर संजीव लाल का नौकर है। संजीव लाल झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम का निजी सचिव है। ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच करते हुए ईडी ने करीब आधा दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की है। जहांगीर के घर पहुंची ईडी की टीम को तलाशी के आधे घंटे के भीतर इतना कैश मिला कि देखकर सभी हैरान रह गए

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राम को पिछले साल सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था। बताया जाता है कि आरोपी ने ईडी के सामने इस बात का खुलासा किया था कि रिश्वत की जो रकम वह लेता था वह ऊपर तक कई लोगों तक पहुंचता था। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने राज्य सरकार को इसकी सूचना दी थी, लेकिन कोई ऐक्शन नहीं लिया गया था। अब कैश बरामदगी के बाद मंत्री आलमगीर आलम भी ईडी की रडार पर हैं। हालांकि, आलमगीर आलम ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनका पीएस एक सरकारी कर्मचारी है जो पहले भी दो मंत्रियों का पीएस रह चुका है।

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