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देश में कमजोर शारीरिक प्रतिरक्षा वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोस देने पर फैसला आज

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(शशि कोन्हेर) : नई दिल्‍ली। देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की दस्‍तक के बीच कुछ विशेषज्ञों की ओर से कोविड रोधी वैक्‍सीन के बूस्‍टर डोज की जरूरत पर जोर दिया जाने लगा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) की सोमवार को होने वाली बैठक में कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को कोरोना रोधी टीके की अतिरिक्त डोज देने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी। अधिकारियों के मुताबिक, टीके की एक अतिरिक्त डोज बूस्टर डोज से अलग होती है।

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बूस्टर डोज ऐसे किसी व्यक्ति को एक पूर्वनिर्धारित अवधि के बाद तब दी जाती है जब यह माना जाता है कि प्राथमिक टीकाकरण की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी आ गई है। वहीं, अतिरिक्त डोज कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को दी जाती है जब प्राथमिक टीकाकरण संक्रमण और रोग से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘अभी के लिए बूस्टर डोज का मुद्दा एजेंडा में नहीं है, क्योंकि इसकी आवश्यकता और महत्व का पता लगाने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं। छह दिसंबर को होने वाली एनटागी की बैठक में कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन की अतिरिक्त डोज देने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा।’ऐसी श्रेणी में कैंसर का इलाज कराने वाले रोगी, प्रत्यारोपण करा चुके रोगी, एड्स रोगी आदि आते हैं और उनकी प्रतिरक्षा में सुधार के लिए टीके की अतिरिक्त डोज (तीसरी डोज) की आवश्यकता होती है।विशेषज्ञों ने कहा कि ओमिक्रोन जैसे नए वैरिएंट के उभरने के बावजूद, टीकाकरण बीमारी और संक्रमण से सुरक्षा के सबसे मजबूत तरीकों में से एक है।

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