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स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी के विचारों से, महाराष्ट्र में कांग्रेस,शरद पवार की पार्टी एनसीपी और शिवसेना अड़चन में

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(शशि कोन्हेर) : सूरत की एक अदालत के द्वारा मानहानि के मामले में 2 साल की सजा के कारण कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। उन्होंने खुद अपने ट्विटर प्रोफाइल से सांसद शब्द हटा दिया है। और उसकी जगह डिसक्वालिफाइड एमपी लिख दिया है।

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इस घटना को लेकर चल रही चर्चाओं से परे शनिवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर राहुल गांधी के द्वारा स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर जिस तरह की टिप्पणी की गई उसकी पूरे देश के एक वर्ग के साथ समूचे महाराष्ट्र में विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है। राहुल गांधी ने मानहानि के मामले को लेकर कुछ इस तरह से कहा..मैं राहुल गांधी हूं। मैं कोई सावरकर नहीं, जो माफी मांगूंगा। मतलब यह है कि मैं राहुल गांधी हूं। इसलिए माफी नहीं मांगूंगा। क्योंकि मैं सावरकर नहीं हूं। इसके पहले भी राहुल गांधी के द्वारा स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर अनेक तरह की टिप्पणियों के साथ उन्हें माफी वीर कहकर भी संबोधित किया गया।
यह बात जगजाहिर है कि आज भी देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो सावरकर को स्वातंत्र्यवीर सावरकर कह कर ही संबोधित करते हैं।

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महाराष्ट्र में तो वीर सावरकर के लिए हर व्यक्ति के मन में अगाध प्रेम है, दीवानगी है। वहां वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग काफी दिनों से उठाई जा रही है। सावरकर के प्रति आम जनता में भी दीवानगी के कारण कोई भी इस मांग का वहां विरोध नहीं कर पाता। फिर वह भले ही वह कांग्रेस, भाजपा शिवसेना या एनसीपी का नेता अथवा कार्यकर्ता क्यों ना हो..? शायद इसी कारण स्वातंत्र्य वीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणियों से महाराष्ट्र में कांग्रेस तथा एनसीपी और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी एहतराम नहीं रखते।

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राहुल गांधी की वीर सावरकर को लेकर की गई टिप्पणियों से वह खुद असहज हो जाते हैं और महाराष्ट्र की जनता में इसके खिलाफ रोष दिखाई देता है। एकाधिक बार राहुल गांधी की ऐसी टिप्पणियों से शिवसेना और शरद कांग्रेश की एनसीपी खुद को अलग कर चुकी है या बता चुकी है। एक बार फिर शनिवार को सावरकर को लेकर कांग्रेस के पूर्व राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों ने महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल शिवसेना और एनसीपी के अलावा वहां के कांग्रेस नेताओं को भी असहज कर दिया है।

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