वाह रे कोनी पुलिस का न्याय..अंधा पीसे, कुत्ता खाय..अब बड़े साहब मन ला कौन बताए..?
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। जमीन के ऐसे मामलों में जिनमें कोई माल-मत्ता मिलने की गूंजाइश नहीं रहती। उनमें पुलिस एक मिनट में लिखकर दे देती है, पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध।। वहीं जिन मामलों में शिकायत कर्ता माल मत्ता देने या ऊपर की एप्रोच कराने में सक्षम रहता है। उनमें कोनी पुलिस की सक्रियता और तत्परता देखने लायक रहती है। ऐसा ही एक मामला कोनी क्षेत्र के ग्राम कछार में देखने को मिला है। यहां शासकीय भूमि पर लंबा चौडा बेजा कब्जा करने वाले एक व्यक्ति ने जगदीश साहू नामक ग्रामीण की शिकायत कोनी पुलिस से की। शिकायत में उसने कहा कि जगदीश नामक व्यक्ति गांव की शासकीय जमीन पर कब्जा कर रहा है। जबकि इसमें शिकायत करने वाला व्यक्ति स्वयं भी गांव की शासकीय जमीन पर कब्जा कर के रखा हुआ है। उसे तकलीफ सिर्फ इस बात से थी कि जगदीश साहू उसके द्वारा कब्जा की गई जमीन के बगल की खाली पड़ीं जमीन पर कब्जा कर रहा था।
शिकायतकर्ता देर सवेर इस शासकीय जमीन पर भी अपने पर पैसारना चाहता है। इसलिए उसने जगदीश साहू के खिलाफ कोनी थाने में रिपोर्ट की। अब ऐसे मामले में पुलिस को क्या कार्रवाई करनी चाहिए..? हमारी छोटी समझ के मुताबिक पुलिस को ऐसे मामले में या तो शिकायतकर्ता के आवेदन पर पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य लिखकर उसे राजस्व विभाग में जाने के लिए कहा जाना चाहिए या फिर उसकी शिकायत को पटवारी प्रतिवेदन के लिए पटवारी के पास भेजना चाहिए। लेकिन यहां पुलिस ने इन दोनों में से भी कोई कार्यवाही नहीं की। क्योंकि शिकायतकर्ता के पक्ष में एक क्षेत्रीय नेता का फोन आ चुका था। इसलिए पुलिस ने वहां से मालपानी और मान सम्मान पाकर जगदीश साहू और उसके पुत्र को थाने बुलाकर धमकी चमकी दी तथा अंदर कर देने की चेतावनी भी दी। अब पुलिस ने इस मामले में अतिउत्साह के साथ जो कार्रवाई की उसके पीछे की वजह तो कोनी पुलिस ही जाने.! लेकिन जहां सवाल यह उठता है कि एक बेजा कब्जा धारी की शिकायत पर ही दूसरे किसी कथित संभावित बेजाकब्जाधारी के खिलाफ कोनी पुलिस की इस तरह की संदिग्ध सक्रियता को आप क्या कहेंगे। शायद ऐसी कार्रवाई के लिए ही कहा गया है…यह है कोनी पुलिस का न्याय–अंधा पीसे कुत्ता खाय..! अब आखिर में कोनी पुलिस से एक सवाल.. क्या थाने में आने वाले वाली ऐसी ही तमाम शिकायतों में भी वह, इसीतरह अति सक्रियता और उत्साह दिखाएगी। अगर ऐसा है तो क्या वह अपने क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों में बेजा कब्जा धारियों के खिलाफ वैसी ही सक्रियता और कार्रवाई करेगी.. जैसी उसने कछार के इस मामले में की है..?