बिलासपुर

क्यों न कलेक्टर की साप्ताहिक T-L (टाइम लिमिट) बैठक का नाम बदलकर टाइम अनलिमिट (TAL)कर दिया जाए

Advertisement

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – आज फिर मंगलवार है। और बिलासपुर में कई वर्षों से मंगलवार को कलेक्टर की टीएल (टाइम लिमिट) बैठक की परंपरा चली आ रही है। ना केवल बिलासपुर वरन प्रदेश के हर जिले में पदस्थ सभी कलेक्टरों को सप्ताह में 1 दिन टाइम लिमिट (TL) की बैठक जरूर लेनी होती है। और जिले के सभी निर्माण कार्यों और परियोजनाओं तथा जनहित की योजनाओं से जुड़े विभागों के अधिकारियों को इसमें आना पूर्णतः अनिवार्य होता ही है।

Advertisement
Advertisement

इन बैठकों में लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जिला पंचायत, सभी जनपद पंचायतों के सीईओ, राजस्व विभाग के तमाम अधिकारी, जिले के सभी एसडीएओ (M) अब कितने विभागों का नाम गिनाएं..? एक लाइन में यह कह सकते हैं कि पुलिस और ट्रैफिक को छोड़कर सभी विभागों के अधिकारियों को टीएल की इन बैठकों में अनिवार्यतः उपस्थित रहना होता है। बैठक में नहीं आना एक तरह की अनुशासनहीनता ही मानी जाती है। बिलासपुर जिले में भी कई सालों से यह बैठक, हर मंगलवार को कलेक्टोरेट परिसर के मंथन सभा कक्ष में ली जाती है।

Advertisement

जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है। शासन के विभिन्न विभागों में चल रहे निर्माण कार्यों, योजनाओं और परियोजनाओं को एक टाइम लिमिट के भीतर पूरा कराना ही TL की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य होता है। इस बैठक में कलेक्टर बारी-बारी से एक-एक विभाग के अधिकारियों से उनके विभाग में चल रहे शासकीय निर्माण अथवा जनहित के कार्यों की योजनाओं परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं। खासकर वे विभाग में चल रही इन योजनाओं को कब तक पूरा करना है..? अभी तक उसकी क्या स्थिति है..? क्या वे समयावधि (टाइम लिमिट) में पूरी हो जाएगी.? और उस योजना को शुरू करने अथवा समय पर पूरा करने में कौन-कौन सी अड़चन आ रही है..? इस बाबत जानकारी किया करते हैं। अधिकारियों के लिए इन बैठकों में मौजूद रहना एक कठिन काम माना जाता है। क्योंकि सामने जिले के कलेक्टर बैठे रहते हैं। और जो रूबरू उनसे, उनके विभाग में चल रहे कार्यों के बारे में एक-एक कर सख्ती से जानकारी लेते रहते हैं। समस्या यह है कि अधिकारी चाहकर भी बैठक से गायब नहीं हो सकते। दूसरा बैठक की शुरुआत से आखरी तक बैठना होता है। तीसरा कलेक्टर की आंख में आंख मिलाकर निर्माण कार्यों और जनहित की योजनाओं तथा परियोजनाओं के बारे में सच्ची जानकारी देनी होती है।
मगर आश्चर्य की बात यह है कि हर सप्ताह कडाई के साथ होने वाली टाइम लिमिट कि इन बैठकों के बावजूद, (बाकी जिलों की बात तो नहीं पता) बिलासपुर जिले में विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य, कराई अथवा चलाई जा रही योजनाओं और परियोजनाओं का काम (अपवाद स्वरूप छोड़कर) कभी भी तय सीमा (टाइम लिमिट) के भीतर पूरा होते नहीं दिखता। अपनी छोटी बुद्धि में यह बात समझ में नहीं आती कि जब हर सप्ताह मंगलवार को कलेक्टर सभी विभाग के अधिकारियों से उनके विभागों के कार्यों, निर्माण कार्यों, परियोजनाओं की जानकारी लेते हैं और कमी बेसी होने पर खिंचाई भी करते हैं। इसके बावजूद बिलासपुर जिले में कोई भी कार्य समय पर पूरा क्यों नहीं हो पाता..? यदि बिलासपुर में हर कार्य को टाइम लिमिट तक अधूरा ही रहना है या टाइम लिमिट के भीतर पूरा नहीं होना है। तो इस गरिमामय साप्ताहिक बैठक का महत्व क्या है..!!

Advertisement

और ऐसी स्थिति में इसका नाम टाइम लिमिट (T- L) से बदलकर टाइम अनलिमिट (TAL)क्यों नहीं कर दिया जाना चाहिए… मजे की बात यह है कि यह बैठक आधे घंटे चलेगी। एक घंटे चलेगी। 2 घंटे चलेगी। फिर कई घंटो तक मैराथन चलेगी। इसका भी कोई लिमिट नहीं है। अब जरा बिलासपुर जिले की सीवरेज, अरपा सौंदर्यीकरण, अमृत मिशन, अरपा भैंसाझार, स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्य, कोनी में बन रहे सिम्स के नए भवन के निर्माण और लोक निर्माण विभाग तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और कृषि विभाग द्वारा कराए जा रहे अधिकांश निर्माण कार्य टाइम लिमिट (तय समय) के भीतर पूरे होने की बजाय टाइम अनलिमिट में भी पूरे क्यों नहीं हो पाते हैं..?

उम्मीद की जानी चाहिए कि इस समस्या का निराकरण करने की दिशा में शासन और जिले के कर्णधार विचार करेंगे। साथ ही इस बैठक को और प्रभावी तथा परिणाममूलक बनाने की दिशा में कदम उठाएंगे। अनुमान लगाया जा सकता है कि जब हर हफ्ते मंगलवार को कलेक्टर के द्वारा टाइम लिमिट की बैठक लेने के बाद भी जिले के निर्माण कार्यों का हाल “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” जैसा है…तो अगर कलेक्टर हर हफ्ते टीएल की बैठक न लें। तब बिलासपुर जिले के विकास और निर्माण कार्यों का बेड़ा (तय समय पर) कौन पार लगायेगा..?

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button