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भाजपा सांसद के नेतृत्व में चल रहे धरने में क्यों बैठे हैं सचिन पायलट..?

(शशि कोन्हेर) : जयपुर – राजस्थान में सचिन पायलट और गहलोत सरकार के बीच की तनातनी एक बार फिर से बढ़ती दिख रही है. अब सचिन पायलट ने अब रामप्रसाद सुसाइड केस में गहलोत के मंत्री महेश जोशी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. पायलट मृतक के परिजनों से मिले और उसके बाद निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया. सचिन पायलट और गहलोत सरकार चुनाव से महज कुछ महीने पहले दोनों अलग-अलग राजनीतिक दिशा में दौड़ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए राजस्‍थान में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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मामला जयपुर के परकोटा इलाक़े का है, यहां सचिन पायलट, बीजेपी के सासंद किरोड़ीलाल मीणा के नेतृत्व में उस धरने में बैठे दिखाई पड़े, जहां रामप्रसाद मीणा नाम के एक शख़्स की ख़ुदकुशी को लेकर इंसाफ़ की मांग की जा रही है. पायलट ने भी गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी और बाक़ी आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है. आपको बता दें कि कि जयपुर के परकोटा इलाक़े में रामप्रसाद मीणा नाम के शख़्स ने चार दिन पहले ख़ुदकुशी कर ली. ख़ुदकुशी से पहले उसने वीडियो जारी किया, जिसमें आरोप लगाया कि मंत्री महेश जोशी और कुछ अन्य लोग उसे दस्तावेज़ होने के बाद भी मकान नहीं बनाने दे रहे. वह जिस मंदिर परिसर में रह रहा था, उससे भी उसे बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. तीन दिन से मृतक रामप्रसाद मीणा के परिजन उसके शव के साथ धरने पर हैं, जिसे बीजेपी भरपूर समर्थन दे रही है और इसे पायलट के समर्थन मिलने के बाद सियासत गरमा गई है, क्योंकि पायलट इस मामले में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ एक बार फिर मुखर हैं.

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राम प्रसाद मीना की आत्मा हत्या को लेकर सियासत गर्मायी
राजस्थान के मंत्री महेश जोशी और सात अन्य के खिलाफ एक युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में राजस्थान पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. पीड़ित परिवार का आरोप है कि मंत्री ने उन्हें अपनी जमीन पर घर नहीं बनाने दिया. इस पूरे मामले के बाद सचिन पायलट पीड़ित परिवार से मिलने के लिए पहुंचे अपनी ही सरकार के दोषी मंत्री के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है. वहीं, इस पूरे मामले के बाद सचिन पायलट रामप्रसाद मीणा के परिजनों से मुलाकात की और पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए. पूरे मामले की ईमानदारी से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

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पीडि़त परिवार को न्‍याय मिलना चाहिए- सचिन पायलट
कोर्ट में डाईंग डिक्लेरेशन (मरते वक्त घोषणा) ही सत्य माना जाता है, मैं जानता हूं. लेकिन इस मामले में इंक्वायरी के बाद ही सच सामने आएगा. किसी व्यक्ति (कैबिनेट मंत्री महेश जोशी) को इस्तीफा देना है, नहीं देना है, उसको रखना है या नहीं रखना है, यह उस पर और मुख्यमंत्री पर डिपेंड करता है. मैं इसमें कुछ कहना नहीं चाहता हूं, क्योंकि हर व्यक्ति के नैतिकता के अलग पैमाने होते हैं, लेकिन परिवार को न्याय मिले यह मैं चाहता हूं.

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आदिवासी वोट ज्यादातर कांग्रेस को मिलते हैं, एक आदिवासी व्यक्ति की जिस तरह से मौत हुई है, 3 दिन से शव रखा हुआ है. मैंने व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री को कहा है कि इसका समाधान तुरंत किया जाए चाहे महेश जोशी हो या कोई बड़े महेश जोशी हो ऐसी घटना से बहुत बड़ा नुकसान होता है, हमारी सारी योजनाओं पर एक ऐसी घटना पानी फेर देती है. इसलिए इसका तुरंत समाधान करना चाहिए और मुख्यमंत्री ने कहा भी है इसके लिए हम समाधान शीघ्र करेंगे. इस्तीफा देना नहीं देना तो आत्मा की गवाही होती है. जातीय समीकरण बहुत हावी रहते हैं, उसके है और हमारे खुद के ऊपर ऐसी बातें आ रही है कि तुम क्या कर रहे हो बैठे-बैठे, जब तुम्हारे समाज के इस व्यक्ति को इस तरीके से मार दिया गया और मैं समझता हूं कि नकारा नहीं जा सकता. पूर्वी राजस्थान की बहुत बड़ी जनसंख्या है और मैं जहां तक समझता हूं मरते आदमी झूठ नहीं बोलता है और जो उसके वीडियो है उसकी जांच होनी चाहिए .चाहे कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों ना हो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

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