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क्यों जल्लाद बना गया है ईरान, 12 दिनों में दी गई 64 को फांसी….क्या था केस?

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(शशि कोन्हेर) : ईरान में ड्रग्स और रेप के आरोप में सात लोगों को फांसी की सजा दी गई है। बीते 12 दिनों में अपराधियों के लिए जल्लाद बन गए ईरान में 64 लोगों को फांसी दे दी गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने ईरान में बड़ी संख्या में दिए मृत्युदंड को लेकर सूचना जारी की है। ईरान मानवाधिकार (आईएचआर) एनजीओ ने कहा कि राजधानी तेहरान के पास कारज शहर में केजलहेसर जेल में ड्रग्स से संबंधित आरोपों में तीन लोगों को फांसी दे दी गई, और चार अन्य लोगों को राजाई शहर जेल में भी रेप के आरोप में फांसी दी गई थी।

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न्यायपालिका की मिजान ऑनलाइन वेबसाइट ने ड्रग्स रखने के आरोप में तीन फांसी की पुष्टि की। वेबसाइट में पुष्टि की गई है कि वे पंजाक नाम के गिरोह के सदस्य थे, जो सबसे बड़ा कोकीन डिस्ट्रिब्यूटर थे, जो ईरान में मुख्य ड्रग कार्टेल में से एक है। गिरोह के छह सदस्यों को 2014 में गिरफ्तार किया गया था। मिजान ने कहा, “गिरफ्तारी के समय, इस गिरोह के सदस्यों से एक किलोग्राम कोकीन, अफीम और मेथामफेटामाइन बरामद किया गया था।”

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वहीं रेप के आरोप में चार फांसी की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ईरान के मानवाधिकार समूह ने कहा कि हालिया फांसी के बाद ईरान में पिछले 12 दिनों में फांसी की संख्या को कम से कम 64 तक पहुंच गई है। ईरानी मानवाधिकार समूह के निदेशक महमूद अमीरी मोघद्दाम ने कहा, “सरकार की तरह से दी जाने वाली सजा में तेजी आ रही है। उनका लक्ष्य लोगों को डराना है और इसके पीड़ित समाज के सबसे कमजोर लोग हैं।” एक ट्वीट में, ईरान के सबसे प्रमुख सुन्नी मौलवी, मोलावी अब्दुलहामिद ने हाल में दी गई फांसी की सजा को मनमाना और बेहद चौंकाने वाला बताया। 74 साल के मौलवी ने कहा, “यह स्पष्ट है कि देश की कई मौजूदा कठिनाइयां और चुनौतियां अन्यायपूर्ण रक्तपात और लाचार लोगों की पीड़ा से उपजी हैं।”

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इस्लामिक देश में पिछले साल कम से कम 582 लोगों को फांसी दी, यह 2015 के बाद से देश में सबसे ज्यादा फांसी की सजा थी। 2021 में ईरान में 333 आरोपियों को फांसी की सजा दी गई। हालांकि 2023 का अभी पांचवां महीना चल रहा है, मानवाधिकार संगठन के मुताबिक इस साल अब तक कम से कम 218 को फांसी के जरिए मौत दी जा चुकी है। सितंबर 2022 में 22 साल की महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद ईरानियों को डराने के लिए मानवाधिकार समूहों ने इस्लामिक देश पर मौत की सजा का पुरजोर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

9 मई को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने मौत की सजा पर इस्लामिक देश को फटकार लगाई और अधिकारियों से फांसी सजा को समाप्त करने का आह्वान किया।

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