छत्तीसगढ़

3 फरवरी को रिद्धि-सिद्धि के चलते क्या हुआ था भाजपा कार्यालय में..? क्यों क्षुब्ध हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह..? और क्या कहा प्रदेश महामंत्री विजय शर्मा ने..?

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बात कुछ दिन पुरानी है। इसलिए इस पर बांसी न्यूज़ की तोमर लग सकती है। लेकिन यह खबर ही कुछ ऐसी है कि लोगों के कानों कान होते हुए हम तक पहुंचने में इसे कुछ दिन लगना ही था। बहरहाल जैसा कि हम शीर्षक में बता चुके हैं.. यह मामला 3 फरवरी 2023 का है। खबर का वेन्यू कर्बला रोड स्थित भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय था। और मौका था भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं पार्षदों पदाधिकारियों के साथ, बातचीत और चर्चा का। उस दिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का बिलासपुर में सुबह से देर शाम तक धुआंधार कार्यक्रम था।

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रायपुर से बिलासपुर आने के बाद सबसे पहले वे न्यू सर्किट हाउस में सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से मिले। फिर जरहाभाटा में प्रधानमंत्री आवास के 1 हितग्राही से मिलने के बाद हमेशा की तरह शहर के ग्रैंड अंबा होटल में ही, (पत्रकार ये भी पूछने लगे हैं कि भाजपा की पत्रकार वार्ताएं अब यही क्यों होती हैं.?) पत्रकारों से केंद्रीय बजट की उपलब्धियों पर चर्चा की। इसके बाद कुछ अंतराल पश्चात नूतन चौक स्थित शासकीय कन्या शाला के मैदान में आम सभा को संबोधित करने के पश्चात भाजपा कार्यालय में बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपाइयों की बैठक में शामिल होना था।

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लेकिन इस बैठक में पहुंचते ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और भाजयुमो प्रभारी तथा प्रदेश के महामंत्री विजय शर्मा का माथा ठनका। बैठक जिस हाल में ली गई वह लगभग पूरे समय तक खाली खाली रहा। जिन लोगों को इस बैठक में बुलाया गया था.. या भाजपा की भाषा में कहें तो जिन लोगों का इस बैठक में आना अपेक्षित था.. उनमें से मात्र 20% पदाधिकारी ही बैठक में मौजूद रहे। हमारे सूत्रों ने बताया कि उस बैठक में बिलासपुर शहर के मात्र चार या पांच भाजपा पार्षद मौजूद रहे। वही बेहद कम संख्या में पार्टी जनों की मौजूदगी से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह काफी क्षुब्ध दिखे। दरअसल भारतीय जनता पार्टी में आम कार्यकर्ताओं, पार्षदों और पदाधिकारियों के बीच के बीच  अलोकप्रिय होते जा रहे रिद्धि-सिद्धि के नाम से चर्चित दो नेताओं‌ के व्यवहार को ही बैठक के इस सुने पन के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है।

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रिद्धि और सिद्धि के नाम से चर्चित इन दो नेताओं के कारण बिलासपुर में जमीनी कार्यकर्ताओं और समर्पित नेताओं के मन में नाराजगी का पलीता सुलगा हुआ है। जो कभी भी जरा सी चिंगारी पाते ही बगावत के विस्फोट सा धधक सकता है। अब ये रिद्धि और सिद्धि कौन है..? भाजपा के किन नेताओं को रिद्धि और सिद्धि कहा जा रहा है..? बेहतर होता कि इस सवाल का जवाब आप हमसे जानने की बजाय शहर के किसी अथवा किन्ही भी भाजपा कार्यकर्ताओं से पूछ लेते। खैर… अब हम 3 फरवरी को भाजपा कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में हुई बैठक की चर्चा कर रहे थे…

उसी की बात करें.. उस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति और चुनाव जीतने के टिप्स पर चर्चा होनी थी। लेकिन बेहद कम उपस्थिति के कारण डॉ रमन सिंह और प्रदेश महामंत्री श्री विजय शर्मा का मन खट्टा हो गया। श्री शर्मा ने बैठक में मौजूद लोगों से सीधे-सीधे कहा की पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री की बैठक में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ऐसा बेहाल समझ से परे है। बताया जाता है कि वही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कार्यकर्ताओं को समझाते हुए कहा कि वे प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के अपने प्रवास में जहां भी गए। उनमें से किसी भी स्थान में बुलाई गई बैठक में 50% से कम उपस्थिति नहीं रही है। यही केवल बिलासपुर में 20% लोग बैठक में दिख रहे हैं। ‌

डॉ रमन सिंह ने कहा कि मैं फिर बिलासपुर आऊंगा और आप लोगों के साथ बैठूंगा। लेकिन तब आप लोग यह जरूर पक्का कर लेंगे कि उस बैठक में अधिक से अधिक संख्या में बिलासपुर के अपेक्षित और आमंत्रित भाजपा पदाधिकारी तथा पार्षद मौजूद रहेंगे। प्रदेश महामंत्री ने भाजपा पार्षद दल के नेता श्री अशोक विधानी से भी बिलासपुर में भाजपा पार्षदों की संख्या और उनकी गैरमौजूदगी को लेकर भी कुछ सवाल पूछे जिसके जवाब से वे असंतुष्ट दिखे। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक पार्टी के कार्यक्रमों में रिद्धि और सिद्धि का  चलवा चलागन जारी रहेगा तब तक बिलासपुर ने बीते विधानसभा चुनाव के बाद से कोमा में पड़े जमीनी संगठन को चाहे जितना भी सिंकारा या बोर्नविटा पिला दीजिए वो उतना जोश में नहीं आ पाएगा, जिसकी विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को जरूरत है।

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