बिलासपुर

काली ढाबा में क्या हुआ था उस रात, नाम क्यों नहीं बताती पुलिस..? कोई माण्डवली तो नहीं हो रही..!

Advertisement

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। 11 दिसंबर को आधी रात के बाद भी बिलासपुर शहर की सीमा से परे रायपुर रोड पर स्थित “काली ढाबा” रोज की तरह गुलजार था। वहां भीतर एक फॉर्च्यूनर से आए कुछ युवा ढाबे के भीतर बैठे थे। इसी दौरान एक कार में सिरगिट्टी के विशाल सिंह, नारायण और सुनील साहू वहां पहुचते हैं। (ये नाम हमें पुलिस ने नहीं बताए हैं)और अपना खाना पैक कराते हैं। खाना पैक होने के बाद वापस सिरगिट्टी जाने के लिए जब काली ढाबा में वह अपनी गाड़ी बैक करते हैं। तो उनकी गाड़ी पहले से खड़ी फॉर्च्यूनर से हल्के से छुआ जाती है। (इसे हम धीरे से टकराना भी कह सकते हैं) ऐसा होते ही ढाबे में बैठे फॉर्च्यूनर सवार गुस्से में बाहर निकल कर आते हैं और बेल्ट तथा बेसबॉल से इनकी ठुकाई करते हैं। इसके साथ ही वे दूसरी कार पर आए सिरगिट्टी वालों की गाड़ी में रखे कुछ पैसे यह कह कर ले लेते हैं कि इससे अपनी फॉर्च्यूनर को बनाएंगे। पुलिस की शिकायत में यह भी कहा गया है कि पैसों के अलावा उन से सोने की चेन भी यह कह कर लूट ली गई थी कि पहले गाड़ी बनवा दो फिर वापस ले लेना। इन दोनों के बीच बहसा-बहसी और खींचतान चल ही रही थी कि इसी बीच पुलिस की गाड़ी पहुंची तो फॉर्च्यूनर पर सवार लोग, सिरगिट्टी वालों की गाड़ी से निकाले पैसे वहीं छोड़ कर चल रफूचक्कर हो गए। सिरगिट्टी में रहने वाले और इस मामले के पीड़ित विशाल सिंह पिता बृजेश सिंह तथा नारायण और सुनील साहु के द्वारा पुलिस में इस मामले की शिकायत भी की गई है। लेकिन पुलिस 12 तारीख की इस घटना में जांच और विवेचना का बहाना बताते हुए अब तक एफ आई आर दर्ज नहीं कर रही है। उनका कहना है कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और सारे सबूत इकट्ठा होने के बाद ही एफ आई आर दर्ज होगी। क्या सात दिनों के बाद भी पुलिस को प्रत्यक्षदर्शी और गवाह नहीं मिले ।

Advertisement
Advertisement

यह हैरतअंगेज बात है कि चकरभाटा पुलिस ने अभी तक ना तो सिरगिट्टी के पीड़ित लोगों का नाम बताया है और ना ही फॉर्च्यूनर में सवार लोगों का नाम ही बताने को पुलिस तैयार है। इस मामले के विवेचक का भी कहना है कि उन्हें अभी कुछ भी पता नहीं है। जबकि 11 दिसंबर को बीते आज कितने दिन हो गए हैं इसका हिसाब कोई भी लगा सकता है। पुलिस के द्वारा दी गई अधिकृत जानकारी में फॉर्च्यूनर पर सवार लोगों के बारे में तो कोई जानकारी दी नहीं गई है… कि वह कौन लोग थे..? फॉर्च्यूनर गाड़ी किसकी थी..? और वो कहां भाग गए.? जबकि सिरगिट्टी वाले पक्ष का भी नाम पुलिस से नहीं बताया है जबकि इस पक्ष को लेकर पुलिस यह कह रही है कि उसमें से एक व्यक्ति के खिलाफ कई मामले हैं तथा हाल में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुए हिंसक झगड़े में 307 के तहत उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी। साथ ही पुलिस यह भी सफाई दे रही है कि घटना में लूट जैसी कोई भाग्य शिकायत नहीं हुई है। पुलिस बिना नाम बताए बार बार एक पक्ष को आवेदक और एक पक्ष को अनावेदक बताए जा रही है। यह सब तो ठीक है.. लेकिन चकरभाटा पुलिस आज 7 दिनों के बाद भी यह क्यों नहीं बता रही है कि उस रात काली ढाबा में किसके किसके बीच में झगड़ा हुआ और झगड़े में क्या-क्या हुआ..? अंदर खाने चर्चा यह है कि इस मामले में फॉर्च्यूनर वाले पक्ष की ओर से पुलिस की मदद से शिकायतकर्ताओं पर दबाव डाला जा रहा है।‌ और समझौता कर पूरे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है..? आखिर में हम यह सवाल पूछ रहे हैं कि अगर ऐसा नहीं है तो चकरभाटा की पुलिस यह क्यों नहीं बताती है कि काली ढाबे में फॉर्च्यूनर पर सवार लोग कौन थे..? फॉर्च्यूनर कार किसकी थी..? उनकी गाड़ी को ठोकर किसने मारी थी..? और क्या वहां इसके बाद मारपीट की गई थी..? और इस मामले में शामिल लोगों के नाम तथा पते क्या हैं..? अगर चकरभाटा पुलिस इसमें मांडवली नहीं कर रही है तो उसे बेधड़क पूरे मामले की खुल्लम खुल्ला जानकारी सभी को देनी चाहिए। और आखिर में एक छोटा सा सवाल ये कि… काली ढाबे में यह जो कुछ भी घटना हुई उस वक्त रात के कितने बजे थे..? और क्या काली ढाबे के संचालक को इतनी रात तक ढाबा चलाने की पुलिस और प्रशासन द्वारा विधिवत अनुमति दे दी गई है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button