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जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपने जिस्म पर एक खरोच भी नहीं लगवाई, ऐसे लोग ही वीर सावरकर को बदनाम करने में लगे हैं

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(शशि कोन्हेर) : अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने फिर की सावरकर की तारीफ, सावरकर ने माफी मांगी और रिहा हो गए, ऐसा कहना पूरी तरह गलत है – शिवसेना, सामना में लिखे लेख में सावरकर को बताया गया महान क्रांतिकारी।

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वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर इन दिनों एक बहस सी चल पड़ी है। इस बीच शिवसेना ने सावरकर (Shivsena on Veer Savarkar) को लेकर सामना में एक लेख लिखा है जिसमें सावरकर की जमकर तारीफ की गई है। सामना में लिखे इस लेख में हा गया है कि गुलाम हिंदुस्थान के नायक रहे सावरकर को खलनायक ठहराने के पीछे एक सुनियोजित साजिश थी। उस साजिश के तहत प्रयास आज भी जारी ही हैं।

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मुकुट रत्न थे सावरकर
सामना में सावरकर की तारीफ करते हुए कहा गया है, ‘विनायक दामोदर सावरकर स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के मुकुट रत्न थे। आजादी से पहले उन्हें विदेशियों ने प्रताड़ित किया था और आज अपने ही लोग उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। सावरकर का महान क्रांतिकारी कार्य, देश के लिए दिए गए उनके बलिदान को भूलकर कुछ लोग सावरकर को माफी मांगकर छूटनेवाला ‘वीर’ ऐसा मानते हैं। (यह एक साजिश है।) सावरकर की माफी के बारे में दंत-कथाएं हैं, वे आधी-अधूरी हैं।’

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सावरकर को क्रांतिकारी बताते हुए इस लेख में कहा गया है, ‘कुछ लोगों को लगता है। जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई के लिए अपने जिस्म पर एक खरोंच भी नहीं लगवाई, ऐसे लोग सावरकर का उल्लेख माफीवीर के रूप में कर रहे हैं। सावरकर जैसे क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ क्रांतिकारियों की एक फौज ही खड़ी कर दी थी। सावरकर के प्रति यह सम्मान दुनियाभर के इतिहासकारों में है ही। उन्होंने सावरकर का त्याग, शौर्य और क्रांतिकारी कार्यों को देखा।’

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