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गिरावट के ये है मुख्य कारण, निवेशकों के एक दिन में सात लाख करोड़ रुपये डूबे..

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गुरुवार को शेयर बाजार में ताबड़तोड़ बिकवाली देखने को मिली। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप गुरुवार को 7.01 लाख करोड़ रुपये घटकर 393.68 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो इसके पिछले कारोबारी दिन यानी बुधवार को 400.69 लाख करोड़ रुपये था।शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार में थोड़ी गिरावट दिखी, लेकिन थोड़ी देर बाद तगड़ी मुनाफावसूली के चलते बिकवाली हावी हो गई और देखते ही देखते मार्केट में बड़ी गिरावट आ गई। गिरावट की एक बड़ी वजह, बुधवार को विदेशी निवेशकों द्वारा कुल 6669.10 करोड़ रुपये के शेयर बेचना शामिल रहा।

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गुरुवार को भी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 6994 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है। छह कारोबारी सत्रों में एफआईआई ने कुल 22,857 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। इसके अलावा, कुछ कंपनियों के खराब नतीजे के कारण भी शेयर बाजार में गिरावट आई। वहीं निफ्टी के वायदा का कटान भी था, जिसका असर बाजार पर निगेटिव रहा।

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गिरावट का सबसे ज्यादा असर एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, एनर्जी, इन्फ्रा, कमोडिटी और पीएसई इंडेक्स पर देखा गया है। ये सभी दो से लेकर 3.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स के 30 में 25 शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं।

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मार्केट के जानकारों के मुताबिक, निफ्टी 50 और सेंसेक्स के पिछले तीन हफ्तों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। उनके मुताबिक प्रमुख भारतीय सूचकांकों में फिलहाल गिरावट जारी रहेगी। बाजार की गिरावट का एक मुख्य कारण आम चुनावों को लेकर चल रही अनिश्चितता है।

लार्ज-कैप कंपनियों के नतीजों से मिले कमजोर संकेतों से भी निवेशकों का मनोबल काफी गिरा हुआ है। अनिश्चितता के स्तर ने भारत विक्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो अस्थिरता का एक मानक है। यह 52-सप्ताह के उच्चतम 19 पर पहुंच गया, जो मार्केट में भय का संकेत दे रहा है। इसमें लगातार 11वें सत्र में वृद्धि आई।

2,902 शेयरों में रही गिरावट
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर गुरुवार को बढ़त के मुकाबले गिरावट के साथ बंद होने वाले शेयरों की संख्या अधिक रही। एक्सचेंज पर कुल 3,943 शेयरों में कारोबार देखने को मिला। इसमें से 929 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं 2,902 शेयरों में गिरावट देखी गई। जबकि 112 शेयर बिना किसी उतार-चढ़ाव के सपाट बंद हुए। इसके अलावा 160 शेयरों ने आज कारोबार के दौरान अपना नया 52-सप्ताह का उच्चस्तर छुआ। वहीं 45 शेयरों ने अपने 52-हफ्तों का नया निचला स्तर छुआ।

गिरावट के पांच सबसे बड़े कारण

1. चुनावी नतीजों को लेकर अनिश्चितता।

2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली।

3. कमजोर तिमाही नतीजे।

4. यूएस फेड के आक्रामक रुख का असर।

5. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी।

इक्विटी फंड में फंड फ्लो घटा
इक्विटी म्यूचुअल फंड में अप्रैल में पूंजी प्रवाह मासिक आधार पर 16 प्रतिशत घटकर 18,917 करोड़ रुपये रहा। मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों के शेयरों से जुड़े कोष में निवेश प्रवाह कम होने से इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश घटा है।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, यह लगातार 38वां महीना है जब इक्विटी कोष में शुद्ध प्रवाह हुआ है। मासिक आधार पर होने वाली निवेश योजना (एसआईपी) के तहत योगदान 20,000 करोड़ रुपये को पार कर गया और अप्रैल में अबतक के सबसे उच्चतम स्तर 20,371 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पिछले महीने मार्च में यह 19,271 करोड़ रुपये था।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 20 हजार से ऊपर के कर्ज नकद में न देने के नए निर्देश से गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों और एनबीएफसी के शेयरों में काफी ज्यादा दबाव दिखा। आरबीआई के निर्देश के बाद मण्णपुरम फाइनेंस और मुथूट फाइनेंस में क्रमश 8.3 और 8.8 फीसदी की गिरावट आई। गौरतलब है कि मुथूट फाइनेंस के कुल कारोबार में 84 फीसदी कर्ज सोने से जुड़ा है वहीं मण्णपुरम फाइनेंस का गोल्ड लोन कारोबार उसके कुल कारोबार का 51 फीसदी है।

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