बिलासपुर

प्रदेश में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से कहीं अधिक घातक है सीएमएचओ कार्यालय का माहौल, अनार एक है – तो बीमार दो

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(नीरज शर्मा) : बिलासपुर – ऐसे समय में जब पूरे प्रदेश के साथ ही बिलासपुर जिले में भी हर दिन संक्रमित होने वाले कोविड-19 के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।‌ हर कोई उम्मीद करेगा कि ऐसे हालात में जिले के स्वास्थ्य विभाग को चाक-चौबंद होकर पूरी मुस्तैदी से काम करना चाहिए। लेकिन ऐसा होने की वजह बिलासपुर के सीएमएचओ कार्यालय में एक अनार दो बीमार जैसे हालात बने हुए हैं।

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अपने तबादले के बाद हाई कोर्ट से स्टे लेकर डॉक्टर प्रमोद महाजन सीएमएचओ के कक्ष में बैठ रहे हैं। वही कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को एक और अधिकारी डा अनिल श्रीवास्तव को सीएमएचओ का प्रोटोकॉल और व्यापार देना पड़ रहा है। दोनों की तैनाती क्योंकि अभी भी सीएमएचओ पद पर है। ऐसे में वहां काम करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के लिए काफी असमंजस की हालत है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे 2-2 अधिकारियों के फरमान का पालन कैसे करें।

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कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण वाले माहौल में स्वास्थ्य के मोर्चे पर जिले की अगुवाई करने वाले सीएमएचओ कार्यालय में मची अराजकता का दुष्परिणाम आखिरकार आम जनता को भोगना पड़ सकता है। दरअसल 26 जून को शासन ने आदेश जारी कर डा. प्रमोद महाजन को हटाकर रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डा. अनिल श्रीवास्तव को सीएमएचओ नियुक्त किया था। डा. श्रीवास्तव ने 27 जून को सीएमएचओ का पदभार संभाल लिया। इसके खिलाफ डा. महाजन हाई कोर्ट चले गए। और अब हालात यह है कि डा. प्रमोद महाजन के वाहन के साथ ही डा. अनिल श्रीवास्तव के वाहन पर भी सीएमएचओ लिखी प्लेट लगी हुई है। इससे लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सीएमएचओ है कौन। इस मामले से स्वास्थ्य विभाग के अंदर चल रही गुटीय राजनीति भी खुलकर सामने आ गई है।दो अधिकारियों द्वारा सीएमएचओ होने का दावा करने का असर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों पर पड़ रहा है।

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हालाकि डा. प्रमोद महाजन ही सीएमएचओ कक्ष में बैठ रहे है व निर्देश दे रहे हैं। लेकिन शासन की ओर से अभी भी सीएमएचओ पद पर की गई डॉ अनिल श्रीवास्तव की पदस्थापना में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। इसलिए इस कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके आगे भी सेल्यूट मारना पड़ रहा है। प्रदेश शासन को कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच इस महत्वपूर्ण कार्यालय में व्याप्त अराजकता को अविलंब दूर करना चाहिए। अन्यथा सीएमएचओ के पद पर पदस्थ दोनों सीएमएचओ के साथ ही आम जनता को भी कोविड-19 के संक्रमण के रूप में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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