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प्रधानमंत्री को सदन में मौजूद रहने का निर्देश नहीं दे सकता, उपराष्ट्रपति की विपक्ष को दो टूक

(शशि कोन्हेर) : राज्यसभा में विपक्षी दल मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं। कई दिनों से जारी विपक्ष की मांग के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि वह प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते।

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संसद का मानसून सत्र के शुरू होने के बाद से ही विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे हैं। इस पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए उच्च सदन में उपस्थित रहने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसा करके पद की शपथ का “उल्लंघन” करेंगे।

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धनखड़ ने कहा कि आसन यहां से प्रधानमंत्री को कोई निर्देश नहीं दे सकता और कभी भी आसन ने प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं तो यह संविधान के तहत शपथ का उल्लंघन होगा। धनखड़ ने कहा, “अगर प्रधानमंत्री आना चाहते हैं, तो हर किसी की तरह, यह उनका विशेषाधिकार है।

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लेकिन इस आसन से इस तरह का कोई निर्देश कभी नहीं जारी किया गया है और कभी नहीं जारी किया जाएगा।” उन्होंने विपक्ष से कहा, “… आपके पक्ष में कई कानूनी विशेषज्ञ हैं। उनसे राय लें। वे आपकी मदद करेंगे, संविधान के तहत, मैं ऐसा निर्देश नहीं दे सकता।’’ विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही सभापति ने शून्यकाल शुरू कराया और इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

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सभापति की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बोलने के तुरंत बाद आई। खरगे ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है और उसमें आठ बिंदुओं के जरिए स्पष्ट किया है कि क्यों मणिपुर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में आकर बयान देना चाहिए।

विपक्ष के तर्कों के बावजूद, धनखड़ ने कहा कि उन्हें मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत 58 नोटिस मिले हैं, लेकिन चूंकि वे इस मुद्दे को उठाने के लिए कार्यवाही को निलंबित करने की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए उन्होंने नोटिस स्वीकार नहीं किए।

सभापति ने कहा कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को अपनी बात कहने का मौका दिया लेकिन उन्होंने उसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया। इसके बाद सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया। सभापति के फैसले के बाद विपक्षी दलों ने विरोध जताते हुए वॉकआउट कर दिया।

जब टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी के सांसद भी बाहर जा रहे हैं, तो धनखड़ ने कहा कि सांसद अपने जनादेश से दूर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “…वह सदन से बाहर नहीं जा रहे हैं, बल्कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों से बाहर जा रहे हैं। वह लोगों के प्रति अपना कर्तव्य निभाने से पीछे हट रहे हैं।’ यह कानून के अनुसार बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करने का मंच है। ऐसी विफलता, लोगों को फैसला करना होगा…” इससे पहले, धनखड़ ने कहा कि नियम 176 के तहत मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा के लिए आवंटित समय ढाई घंटे तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ”मैंने कोई समय सीमा नहीं होने का संकेत दिया था और सभी खंडों को पूरा अधिकार होगा।”

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