डॉक्टरों के बचाव में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला…कोर्ट ने कहा…डॉक्टरों के विदेश आने-जाने और इसी तरह अस्पताल में होने वाली प्रत्येक मौत को, मेडिकल लापरवाही नहीं माना जा सकता
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों के पक्ष में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो नज़ीर बनेगा। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेश में आयोजित किए जाने वाले सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए देश से डाक्टरों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन इसे मेडिकल लापरवाही करार देना बिल्कुल गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक चिकित्सक को अपने क्षेत्र में नई जानकारियों से खुद को अपडेट करना होता है। इसके लिए उसे देश-विदेश में सम्मेलनों में शामिल होने की जरूरत होती है।
दरअसल आज जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि विदेश में आयोजित एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के खातिर डाक्टर को जाना पड़ा। इसे मेडिकल लापरवाही नहीं कही जा सकती। आयोग ने बांबे हास्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर और एक डाक्टर को 14.18 लाख रुपये ब्याज के साथ मृतक के कानूनी वारिस को अदा करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि “प्रत्येक मरीज की मौत को मेडिकल लापरवाही नहीं माना जा सकता”। पीठ ने कहा कि महज इसलिए कि डाक्टर विदेश गया था, यह मेडिकल लापरवाही नहीं कही जा सकती। मरीज जिस अस्पताल में भर्ती था, वहां विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ हैं। अदालत ने कहा कि आयोग का यह कहना प्रतिकूल टिप्पणी है कि डाक्टर ने अपनी अमेरिका और ब्रिटेन यात्रा से पहले कई दिनों तक मरीज को नहीं देखा या उसका उपचार नहीं किया। मरीज का अन्य विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा था।
पीठ ने कहा, यह एक ऐसा मामला है जहां मरीज अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी गंभीर स्थिति में था। लेकिन सर्जरी के बाद भी यदि मरीज जीवित नहीं रहा तो इसे डॉक्टर की लापरवाही नहीं मानता मेडिकल लापरवाही का मामला नहीं बनता। पीठ ने शिकायतकर्ता की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि 2 की सर्जरी एक डॉक्टर के द्वारा की गई थी इसलिए वह अकेले ही मरीज के इलाज के विभिन्न पहलुओं के लिए जिम्मेदार होगा पीठ ने इसे गलत धारणा करार दिया।