छत्तीसगढ़

कलेजे पे पत्थर और बाइक पर बेटे की लाश…!

(शशि कोन्हेर) : कोरबा : पांच साल के पुत्र की मौत के बाद पिता को मेडिकल कालेज अस्पताल में शव वाहन की सुविधा नहीं मिल सकी। तब वह बाइक में किसी तरह शव को रख बच्चे का अंतिम संस्कार करने अस्पताल से रवाना हो गया। अभी वह कुछ दूर ही पहुंचा था कि लोगों ने उसे रोका और शव वाहन की व्यवस्था कर व्यथित पिता को राहत पहुंचाई। खरमोरा के रुद्र नगर में रहने वाले राजेश चौरसिया का पुत्र हेमंत चौरसिया (पांच साल) कुछ दिन से अस्वस्थ चल रहा था।

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रविवार की रात 11 बजे अचानक उसकी तबियत खराब हो गई। आनन फानन में उसे मेडिकल कालेज स्थित अस्पताल लेकर पहुंचा। रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई, अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया। चूंकि अस्पताल में बच्चे को मृत अवस्था में लाया गया था, इसलिए पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूर्ण किया जाना था,

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इसलिए रात को शव मर्च्यूरी में रखा दिया गया। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को पिता राजेश के सुपुर्द कर दिया गया। शव को घर तक पहुंचने की गुजारिश राजेश अस्पताल के कर्मचारियों से करता रहा, पर शव वाहन उपलब्ध नहीं होेने की बात कहकर सब पल्ला झाड़ते रहे। उसकी आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि अपने स्तर पर वाहन की बुकिंग कर सके, लिहाजा उसने एक सहयोगी की बाइक में पीछे बैठ कर बच्चे को शव गोद में रख लिया और घर जाने रवाना हो गया।

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अस्पताल परिसर में खड़े कुछ जागरूक लोगों ने यह देखा तो  उन्होंने अस्पताल परिसर में ही संचालित एक होटल के संचालक से शव वाहन उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उसने यह बात सहज स्वीकार कर ली और मजबूर  राजेश को शव वाहन उपलब्ध कराया । लोगों के सहयोग से उसे शव वाहन तो मिल गया… पर यह मामला ये यक्ष प्रश्न भी उछाल गया कि न जाने कितने ही लोगों को अपने स्वजनो को खोने के बाद शव को घर तक ले जाने कै लिये ऐसे हालात और दुख का सामना करना पड़ताम होगा।

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जिले में दो शव वाहन, एक खराब – डायल 1099 में मुक्तांजलि योजना के तहत निश्शुल्क शव वाहन की सेवा उपलब्ध कराई जानी है। इसके लिए पूरे जिले में केवल दो शव वाहन की व्यवस्था है। इसमें एक कटघोरा व दूसरा मेडिकल कालेज अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है। बताया जा रहा है, कि मेडिकल अस्पताल का शव वाहन खराब हो गया है और उसे मरम्मत के लिए गैरेज भेजा गया है। इस वजह से कटघोरा का शव वाहन कोरबा बुला लिया गया है। वह वाहन भी उस वक्त उपलब्ध नही था।

नियमों को ठेंगा दिखा वाहन भेज दिया गया जिले से बाहर – जिले के अंदर ही शव वाहन की सुविधा दी जाती है। मुक्तांजलि के लिए बनाए गए इस कायदे का भी जमकर उल्लंघन किया जा रहा। सूत्रों का दावा है कि एक शव वाहन जो मेडिकल अस्पताल में उपलब्ध था, उसे भैयाथान भेज दिया गया, यह अंबिकापुर जिले में है। यह गड़बड़ी वाहन के चालक के स्तर पर की गई, या फिर अधिकारियों की भी इसमें सहभागिता रही, यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा। बहरहाल इस तरह कायदों की अनदेखी किए जाने की वजह से आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती।

बहरहाल इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ गोपाल कंवर से पूछने पर उन्होंने बताया कि दो एंबुलेंस में एक खराब है और दूसरा एंबुलेंस शव छोड़ने गया था, इसलिए उपलब्ध नहीं हो पाया। इस तरह की परिस्थितियों में समाजसेवी संगठनों से संपर्क कर शव वाहन की व्यवस्था कराई जाती है। मुझे इसकी जानकरी नहीं लग पाई, नहीं तो ऐसी स्थिति निर्मित नही होती।

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