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40 साल तक कांग्रेस के साथ रहे..सोनिया गांधी के विश्वस्त अश्वनी कुमार ने….!

पंजाब में मतदान से ठीक 5 दिन पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस का 46 साल तक साथ देने वाले अश्विनी कुमार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। अश्विनी शर्मा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के वफादार माने जाते हैं और उन्होंने अपना इस्तीफा भी सोनिया गांधी को भेजा है।

बीते दो वर्षों में कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कहा है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, सुष्मिता देव, प्रियंका चतुर्वेदी शामिल हैं, लेकिन अश्विनी कुमार का कांग्रेस से बाहर निकलने का संकेत है कि पुराने नेताओं का भी पार्टी से मोहभंग हो रहा है। दो अन्य दिग्गज, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी हाल ही में पार्टी से नाता तोड़ा है।

अश्विनी कुमार का कांग्रेस से इस्तीफा देना भी अप्रत्याशित था। क्योंकि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कट्टर वफादार थे और चार दशकों से अधिक समय से पार्टी से जुड़े थे। उन्होंने सोनिया गांधी का उस समय बचाव किया था जब जी-23 के नेताओं ने अगस्त 2020 में पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक बदलाव की मांग की थी।

अश्विनी कुमार ने तब कहा था कि जिन मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है, उन्हें केवल सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही संबोधित किया जा सकता है। 2019 में पार्टी के नेताओं ने सोनिया गांधी से पार्टी का नेतृत्व करने की मांग की थी और वह कर्तव्य के आह्वान के रूप में सहमत भी हो गईं। इस स्तर पर उनके एकीकृत नेतृत्व पर सवाल उठाना गलत है। मेरा विचार है कि वर्तमान असाधारण परिस्थितियों में राजनीतिक दुस्साहस आगे का रास्ता नहीं हो सकता है।

यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे अश्विनी कुमार ने 1976 में कांग्रेस जॉइन की थी। वह गुरुदासपुर जिला कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव थे। एक दशक बाद उन्हें राज्य कांग्रेस में एक पदाधिकारी नियुक्त किया गया। वह पहली बार 1990 में सुर्खियों में आए जब उन्हें चंद्रशेखर सरकार द्वारा भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया।

अश्विनी कुमार एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके दिवंगत पिता प्रबोध चंद्र एक स्वतंत्रता सेनानी और गुरदासपुर के कांग्रेस नेता थे, जो पंजाब विधानसभा में विधायक, मंत्री और स्पीकर बने थे। अश्विनी कुमार साल 2002 से 2016 तक राज्यसभा सांसद रहे हैं।

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