छत्तीसगढ़

नियम कायदों को दरकिनार कर काटे जा रहे हैं सेमल पेड़– किसी भी विभाग को खबर नहीं

(मुन्ना पांडेय) : लखनपुर (सरगुजा) जनपद क्षेत्र के अंतर्गत कई  ग्राम पंचायतों में जहां शासकीय एवं निजी खाते के भूमि पर प्रकृति रूप से उगे हुए सेमल पेड़ों को बाहरी तस्करों द्वारा नियम कायदो को दरकिनार कर बेतहाशा काटा जा रहा हैं। दरअसल  विभागीय  अनुमति आदेश के बिना बड़े-बड़े विशाल सेमल पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है ।

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जबकि ऐसे स्वत प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले किसी भी पेडो की जानकारी  पंचायत को   तथा पंचायतों के मार्फत  राजस्व विभाग को होनी चाहिए। परन्तु ऐसी व्यवस्था नहीं है प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले पेड़ों की तथा जिनके नीजी खाते के जमीन पर पेड़ तैयार हुआ है उन कास्तकारो के  नीजी भूमि पेड़ों का सम्पूर्ण ब्योरा  राजस्व विभाग को होने चाहिए।

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परन्तु अफसोस की राजस्व विभाग को इस तरह के पेड़ों की जानकारी  रखने गरज नहीं होती है।   पेड़ तथा जमीन मालिकों की जानकारी  नहीं होने कारण निजी स्वार्थ वश बिना तहसील न्यायालय के अनुमति तथा बगैर वन विभाग तस्दीक के हरे भरे विशाल पेड़ तस्करों के हाथों बेच दिये जाते है। ऐसा नजारा क्षेत्र में नजर आने लगा है।   सेमल पेड़ों का खरीद-फरोख्त नाजायज तरीके से  किया जा रहा है।

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क्षेत्रवासियों का कहना है राजस्व नियमों का खुला उल्लंघन है। बीते 14 नवंबर को गुमगराकला  पुहपुटरा ग्राम सिरकोतगा रजपुरी कला से  काटे गए  सेमल पेड़ ट्रकों में परिवहन कर  ले जाया गया। परन्तु ले जाये जा रहे कटे सेमल पेड़ों के लठठे पर किसी विभाग की दखलअंदाजी नहीं रही। ट्रकों में सेमल लकड़ियों को परिवहन कर ले जाते  सम्बंधित गांवों के ग्रामीणों ने खुले नजरों से देखा।

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शायद निजी खाते के भूमि पर तैयार  होने वाले पेड़ के वजह से किसी तरह का विभागीय पड़ताल नहीं किया गया और ना ही कार्यालय आदेश की पेपर देखा जाना मुनासिब समझा गया। बताया जा रहा है ग्रामीणों से सांठगांठ  बना  बाहरी लोगों द्वारा सेमल पेड़ काटे जा रहे हैं। इस पहलू को समझने के लिए वनपरिक्षेत्राधिकारी  सोनी से चर्चा  करने पर उन्होंने बताया कि वन भूमि पर उगने वाले पेड़ों को छोड़कर राजस्व भूमि के  पेड हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

पंचायत क्षेत्र के किसी भी तरह के पेड़ हमारे वन विभाग की मिल्कियत नहीं होने कारण वन विभाग की दखल नहीं होती । विभागीय आदेश पर वन विभाग द्वारा तस्दीक किया जा सकता है। राजस्व  या नीजी खाते के भूमि पर लगे पेड़ वन विभाग के  दायरे में नहीं आता तथापि उन पेड़ों पर विभाग का कोई नियम फिट नहीं होता । तहसील न्यायालय तथा पंचायतों के अनुमति आदेश बिना नाजायज तरीके से सेमल पेड़  काटे जा रहे हैं।

कुछ ग्रामवासियों का  कहना है पंचायत एवं तहसील की आदेश को जरूरी नहीं समझा गया।इस तरह से पंचायतों में सेमल पेड़ धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं ‌जिससे शासन के राजस्व राशि की  क्षति खुले रूप में हो रही है। यदि ऐसे ही पेड़ों की कटाई होती रही तो मनमानी पर रोक लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा ।तथा नियम कायदों की कोई अहमियत नहीं रह जायेगी। अब तक  किसी विभाग ने दखलअंदाजी करना मुनासिब नहीं समझा और ना जिम्मेवारी ली है सेमल पेड़ काटे जाने में कुछ स्थानीय लोगों की संलिप्तता बताई जा रही है।  चंद पैसों के लालच में बड़े बड़े विशाल सेमल दरख़्तो की बलि दी जा रही है।


इस संबंध में तहसीलदार से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि मेरे संज्ञान में नहीं है सम्बंधित ग्राम के हल्का पटवारीयो से मौका जांच कराने उपरांत तथ्य सामने आ सकते हैं। आश्वासन दिये जाने के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वहीं इस मुद्दे पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) श्रीमती शिवानी जायसवाल से चर्चा करने पर उन्होंने कहा  सुक्ष्म जांच कराते हुए नियमानुसार सेमल पेड़ कटाई  पर तत्काल रोक लगाई जायेगी।
देखना है कि हो रहे वृक्ष संहार का यह सिलसिला कहा जाकर थमता है ।

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