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रूसी हमले के कारण भारत लौटे छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों से चल रही बातचीत

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(शशि कोन्हेर) : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन से वापस गए छात्रों की पढाई को जारी रखने के लिए सरकार हंगरी, रोमानिया, कजाकिस्तान और पोलैंड जैसे देशों के साथ बातचीत कर रही है। यूक्रेन की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन सरकार ने भी छात्रों को उनके चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रमों में दो प्रमुख परीक्षा देने के लिए छूट की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी सरकार ने फैसला किया है कि तीसरे से चौथे वर्ष तक छात्रों को पदोन्नति के संबंध में छूट दी जाएगी।

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जयशंकर ने सदन को बताया कि अनिवार्य सीआरओसी परीक्षा को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया है। छठे वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य सीआरओसी -2 परीक्षा दिए बिना डिग्री दी जाएगी। यह मानदंड केवल अकादमिक प्रदर्शन के लिए होगा। उन्होंने कहा कि हंगरी ने यूक्रेन से निकाले गए छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में चिकित्सा पाठ्यक्रम पूरा करने की अनुमति देने की पेशकश की थी। हंगरी के अलावा अन्य देशों से भी प्रस्ताव मिले थे। हम यूक्रेन से निकाले गए छात्रों के लिए शिक्षा जारी रखने के बारे में हंगरी, रोमानिया, कजाकिस्तान और पोलैंड के संपर्क में हैं क्योंकि इन देशों में समान शिक्षा प्रणाली है।

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उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालयों को इस मामले से अवगत कराया गया था। वे इस बात का पता लगा रहे थे कि यूक्रेन से निकाले गए लोग अपनी शिक्षा कैसे जारी रख सकते हैं। मंत्री ने सदस्यों से कहा कि वित्त मंत्रालय ने बैंकों से यूक्रेन में छात्रों को दिए गए शैक्षिक ऋण पर यूक्रेन संकट के प्रभाव का आकलन करने के लिए भी कहा है।

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