अब पेंशनरों को अपने “जिंदा होने का प्रमाण पत्र” देने नहीं जाना पड़ेगा बैंक..
नई दिल्ली – भारत सरकार ने पेंशनरों की बड़ी सहूलियत देते हुए वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बैंक आने की बाध्यता समाप्त कर दी है। अब बिना बैंक गए भी जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। केंद्र सरकार के देश में करीब 65 लाख पेंशनर्स हैं। उनके लिए ये बड़ी राहत होगी।
भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 20 सितंबर को जारी अपने पत्र में कहा गया है कि पेंशनर को खुद बैंक में आने की आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में पहले भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। मंत्रालय का कहना है कि केंद्र सरकार के प्रत्येक पेंशनभोगी को आगे पेंशन जारी रखने के लिए नवंबर माह में वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है।
खासतौर पर वे पेंशनर, जिनकी आयु 80 साल या उससे अधिक हो गई है। देखने में आ रहा है कि बहुत से पेंशनर खराब स्वास्थ्य के बावजूद मजबूरी में खुद बैंक जाकर ’वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र’ प्रस्तुत करते हैं। उन्हें यह पत्र हर साल नवंबर माह में जमा कराना होता है। भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादा आयु वाले पेंशनरों को बैंक में आने की जरुरत नहीं है। वे घर से ही यह पत्र संबंधित विभाग या बैंक को भेज सकते हैं। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के जरिए 1,89,000 डाक सेवक ’वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र’ जमा कराने में पेंशनर की मदद करते हैं। इसके अलावा विभिन्न डाकघरों में 1,36,000 से अधिक ऐसे डेस्क बनाए गए हैं, जहां वह पत्र आसानी से जमा कराया जा सकता है। इतना ही नहीं, पेंशनभोगी, अपना ’वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र’ पोर्टल के माध्यम से घर बैठे ऑनलाइन तरीके से जमा कर सकते हैं।
पेंशनभोगी की सुविधा के अनुसार वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र मैनुअली या डिजिटल रूप से जमा किया जा सकता है। पेंशन वितरण बैंकों (पीडीए) द्वारा जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने की सुविधा प्रदान की गई है। बशर्ते पेंशनभोगी शारीरिक रूप से पीडीए के समक्ष उपस्थित होता है।