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नई झंझट-लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने राहुल गांधी को बंगला खाली करने के लिए भेजा नोटिस

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(शशि कोन्हेर) : सांसदी छिनने के बाद राहुल गांधी के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है। लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दी है। इसके लिए उन्हें 22 अप्रैल तक का समय दिया गया है। बता दें कि राहुल गांधी 12 तुगलक लेन स्थित सरकारी आवास में रहते हैं। उन्हें यह आवास बतौर सांसद एलॉट किया गया था।

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यह कहता है नियम
नियमों के मुताबिक डिसक्वॉलीफाइड सांसद को सरकारी सुविधाओं के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होती। उनके पास आधिकारिक बंगले को खाली करने के लिए 30 दिन का समय होता है। इस फैसले पर टिप्पणी के लिए राहुल गांधी के ऑफिस में संपर्क किया गया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला।

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राहुल गांधी के पास यह बंगला साल 2005 से था। बता दें कि राहुल गांधी का सरकारी आवास लुटियंस दिल्ली में 12 तुगलक लेन में था। राहुल गांधी के अमेठी से पहली बार सांसद बनने के बाद से ही तुगलक लेन वाला सरकारी बंगला उन्हें अलॉट किया गया था।

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कांग्रेस सांसद का हमला
वहीं, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इसको लेकर भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की राहुल गांधी के प्रति नफरत को दिखाता है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि नोटिस मिलने के 30 दिन बाद तक भी अधिकापूर्वक उस घर में रहा जा सकता है। 30 दिन के बाद भी मार्केट रेट के अनुसार रेंट देकर वहां रहा जा सकता है।

यह है मामला
गौरतलब है कि सूरत की एक अदालत ने मोदी उपनाम संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें गुरुवार को दोषी ठहराया। मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी।

नियम कहता है कि दो साल की सजा पाया कोई भी जनप्रतिनिधि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स ऐक्ट 1951 के तहत डिसक्वॉलीफाइड हो जाएगा। हालांकि इस ऐक्ट में डिसक्वॉलीफिकेशन से तीन महीने तक बचने के लिए प्रावधान था, लेकिन साल 2013 में लिली थॉमस केस में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया था।

खुद नहीं जा सकते सुप्रीम या हाई कोर्ट
अपने डिसक्वॉलीफिकेशन को लेकर राहुल गांधी सीधे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट भी नहीं जा सकते। वजह यह है कि उनके खिलाफ मामला क्रिमिनल केस का है। हालांकि कोई थर्ड पार्टी इस मामले में कोर्ट का रुख कर सकता है। यह थर्ड पार्टी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से जनहित को हो रहे नुकसान का हवाला देकर मामले में दखल देने की गुहार लगा सकता है।

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