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75 से अधिक लड़कियों से “निकाह” कर चुका है, 200 बांग्लादेशी युवतियों को, जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलने वाला आरोपी मुनीर

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(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – मध्यप्रदेश के इंदौर में पुलिस की गिरफ्त में आए बांग्लादेश की लड़कियों के तस्कर मुनीर उर्फ मुनीरूल ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आरोपी ने बांग्लादेश से 200 से ज्यादा बांग्लादेशी लड़कियों को लाकर जिस्मफरोशी के धंधे में धकेला था। वह हर महीने 55 से ज्यादा लड़कियों को लाता था और 5 साल से धंधे में है। आरोपी 75 लड़कियों से अब तक शादी कर चुका है। गुरुवार को इंदौर एसआईटी ने मुनीर को सूरत से गिरफ्तार किया था। आरोपी लड़कियों को बांग्लादेश और भारत के पोरस बॉर्डर पर नाले के रास्ते लाता था और बॉर्डर के पास के छोटे गांव में एजेंट्स के जरिये लड़कियों को मुर्शिदाबाद और आसपास के ग्रामीण इलाकों में लाकर ही भारत में एंट्री करवाते थे.
दरअसल, इंदौर पुलिस ने 11 महीने पहले लसूड़िया और विजय नगर इलाकों में ऑपरेशन चलाकर 21 बांग्लादेशी लड़कियों को रेस्क्यू कर छुड़ाया था। जिसमें 11 बांग्लादेशी युवतियां और बाकी अन्य युवतियां थीं. मामले में सागर उर्फ सैंडो, आफरीन, आमरीन व अन्य लोग आरोपी बनाए गए थे जबकि मुनीर भाग निकला था. उसे गुरुवार को सूरत से पकड़कर इंदौर लाया गया.
मुनीर पर इंदौर पुलिस ने 10 हजार रुपये का इनाम रखा था. वह बांग्लादेश के जसोर का रहने वाला है. ज्यादातर लड़कियों से उसने शादी की और फिर इंडिया में लाकर बेचा. उसके पीछे बड़ा नेटवर्क है. मुनीर से पता चला है कि सेक्स रैकेट से जुड़ा गिरोह लड़कियों की पहले कोलकाता, फिर मुंबई में ट्रेनिंग कराता है. इसके बाद डिमांड पर लड़कियों को देश के दूसरे शहरों भोपाल व अन्य शहरों में सप्लाई करता था.

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वहीं, बांग्लादेशी लड़कियों को यहां तक लाने के पीछे की कहानी जो सामने आई, उसके अनुसार बांग्लादेश के एजेंट गरीब परिवार की लड़कियों को काम दिलाने के बहाने चोरी-छिपे बॉर्डर पार करवाकर कोलकाता तक लाते थे. यहां इन्हें एक हफ्ते से ज्यादा रखा जाता था. बॉडी लैंग्वेज और बेहतर रहन-सहन की ट्रेनिंग दी जाती थी. ट्रेंड होने पर लड़कियों को मुंबई भेजा जाता था. यहां फिर ट्रेनिंग दी जाती थी. इसके बाद शहरों से आई डिमांड के अनुसार लड़कियों को उन सिटी तक भेजा जाता था.

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लड़कियों को मुंबई से रवाना करने के पहले उनके दस्तावेज रखवा लिए जाते थे. लड़कियां बांग्लादेश की ही हैं, इसकी पहचान एजेंट आंखों के जरिए करते थे। यह सूरत के अलावा इंदौर भोपाल मुंबई और ग्वालियर समेत कई शहरों में उनकी सप्लाई किया करते थे।

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