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जम्मूतवी एक्सप्रेस में फिर दिखा, पलायन करने वालो की भीड़

(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में मजदूरों का पलायन कोई नहीं बात नहीं है. बात चाहे फिर फसल कटाई की हो या फिर ईंट-भट्ठों में मजदूरी करने की, हर साल मजदूरों का पलायन पहले से ही बदस्तूर जारी है. बिलासपुर संभाग की करें तो यहां से अधिकांश मजदूर दूसरे प्रदेशों के ईंट-भट्ठे पर काम करने के लिए हर पलायन कर जाते हैं।

बिलासपुर स्टेशन का यह नजारा है,जहाँ मंगलवार को सैकड़ो की संख्या में मजदूर देश के कई राज्यो में पलायन करते देखे गए।  ज्यादातर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और गुजरात मे रोजी रोजगार की तलाश में जाते हैं. पलायन का एक प्रमुख कारण छत्तीसगढ़ में बहुत कम रोजी का मिलना है.

वे यहा पूरा दिन काम करते हैं तो उन्हें मात्र ढाई सौ से अधिकतम पांच सौ मिलता हैं, जबकि अन्य प्रदशों में उन्हें  अकुशल को 5 सौ तक दिया जाता है.गर्मी का मौसम आते ही मजदूरों का पलायन शुरू हो जाता हैं और जून-जुलाई तक वापस अपने घर लौटने लगते हैं।


प्रदेश के साथ बिलासपुर जिले के सरकारी आंकड़ों में पलायन करने वालों की संख्या बहुत ही कम है. उसका कारण यह है कि शासकीय विभाग यानी श्रम विभाग पलायन करने वाले उन मजदूरों का लेखा-जोखा रखता है जो लाइसेंसी ठेकेदारों के सहयोग से अन्य प्रदेशों में काम करने जाते हैं।

जबकि राज्य सरकार सहित श्रम विभाग को भी जानकारी है कि छत्तीसगढ़ से मजदूर बड़ी संख्या में रोजी की तलाश में अन्य प्रदेशों में पलायन करते हैं, लेकिन सरकार इसे मजदूरों की पलायन करने की प्रवृत्ति मानती है। मंगलवार को बिलासपुर स्टेशन में जमा श्रमिक वर्ग परिवार समेत अलग अलग ट्रेनों से रवाना हुआ.

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