बिलासपुर

कोटवार बने दलाल… पटवारी मालामाल

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले चंद गांवों की यही कहानी है। यहां पदस्थ कोटवार सरकार से कोटवारी में मिली जमीनों को गिरवी रखकर अथवा बेचकर खाली हाथ हो चुके हैं। गांव से उन्हें जेवर भी नहीं मिलता। ऐसे में इन कोटवारों में से कुछ ने दलाली का रास्ता अपना लिया है। गांव वालों को जमीन बेचने के लिए नंबर निकलवाना है। सीमांकन कराना है। नई पर्ची बनवाना है। और नामांतरण कराना है। इन सब कार्यों के लिए इस गांव के कोटवारों ने खुद को दलाल या शहरी भाषा में कहें तो कमीशन एजेंट बना लिया है। बिलासपुर तहसील को अगर चावल का एक दाना मान लिया जाए तो इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले की बाकी तहसीलों में किस कदर भर्राशाही चल रही होगी। पटवारियों के माथे पर तो पहले ही वसूली का चंदन लग चुका है। लेकिन उनकी आड़ में अब कुछ कोटवार भी अपना हाथ गीला कर रहे हैं।

वे ग्रामीणों का काम खोज खोज कर पटवारी को दे रहे हैं और पटवारी हर काम के लिए मनमानी रकम लेकर कोटवार को भी खुरचन पानी दे रहे हैं। भाइयों में पर्ची बधवाने का काम है। तो जितने भाई हैं उन सभी को पांच से ₹10000 देना पड़ रहा है। नामांतरण का काम शासन के आदेश पर मुफ्त में और तुरंत किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। पुरुष पटवारियों की तरह अब महिला पटवारी भी कोटवारों को अपना कमीशन एजेंट बनाकर ग्रामीणों की गर्दन चूसने में लगी हुई है।

कोटवार ही पटवारियों को यह बता रहे हैं कि कौन सा किसान कितना मालदार है और वह किसी काम के लिए कितना रुपया दे सकता है। उसके हिसाब से पटवारी काम की रकम बता देते हैं। और तब किसान के पास पटवारी को उक्त रकम दिए बिना और कोई चारा नहीं है। कुछ ऐसे पटवारी भी है जो बाकायदा कार से अपने कार्य क्षेत्र में पहुंचते हैं। और पूरे रुतबे के साथ कुछ इस तरह काम करते हैं मानों को पटवारी नहीं वरन आईएएस अधिकारी हूं। यह नजारा आपको बिलासपुर शहर के आसपास के किसी भी गांव में देखने को मिल जाएगा।

जहां पटवारी साहब कुर्सी पर और अन्नदाता जमीन पर उंकडू बैठा रहता है। 2- 4 डिसमिल जमीन के नामांतरण के लिए भी सीना ठोक कर पांच से ₹7000 लिए जा रहे हैं। एक आम धारणा बन चुकी है कि पटवारी जो रकम कमाते हैं वह अपने ऊपर के अधिकारियों को भी देते हैं इसलिए शिकायतों के बाद भी उनके खिलाफ आम तौर पर कार्यवाही नहीं होती। लिहाजा जिन गांवों में कोटवार चतुर सुजान है वह पटवारी के साथ मिलकर जनता का खून चूसने में लगे हुए हैं।

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