अम्बिकापुर

अकीदत के साथ मनाया गया मातमी पर्व मुहर्रम कर्बला में की गई ताजिया का विसर्जन…..


(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर –(सरगुजा) सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए स्थानीय मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों ने इमाम हसन हुसैन के शहादत की याद में मनाया जाने वाला मातमी पर्व मुहर्रम पूरे अकीदत के साथ मनाया। दसवीं तिथि बरोज मंगलवार पहलाम को ईमाम बाडा से बाकायदा दुल्ला बाबा के सवारी सहित ताजिया जुलूस निकाली गई। ताजिया दारो का काफिला ढोल ताशे के साथ मर्सिया गाते हुए नगर के कदमी चौक होते हुए पठानपुरा थाना रोड बिलासपुर मुख्य मार्ग से बस स्टैंड , पैलेस रोड जामा मस्जिद होते हुए नगर के विभिन्न गलियों से गुजरते हुए चली आ परम्परानुसार राजमहल प्रांगण पहुंचा जहां रिवाज के मुताबिक वर्तमान लाल बहादुर अजीत प्रताप सिंह देव तथा कुंवर अमीत सिंह देव सुमीत सिंह देव ने ताजिया एवं दुल्ला बाबा के सवारी का स्वागत गुलाब जल इत्र फूल माला अर्पित करते हुए लोहबान जलाकर किया ।ताजिया एवं ताजियादारो का स्वागत नगर के हर गली मुहल्ले में जगह जगह किया गया। साथ ही दुल्ला बाबा के सवारी का दिदार करने झाड़ फूंक कराने वालो का मजमा लगा रहा। इस्लाम धर्म के जानकारों की मानें तो मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना होता है इसे हिजरी भी कहा जाता है यह एक मुस्लिम त्यौहार है हिजरी सन की शुरुआत इसी महीने से होती है। मुहर्रम मातमी पर्व का अजीब वाकिया है जानकार बताते हैं सदियों पहले इराक में यजीद नाम का एक जालिम बादशाह था जो इंसानियत का दुश्मन था हजरत इमाम हुसैन ने जालिम बादशाह यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान किया था मोहम्मद मुस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन की कर्बला नाम की जगह पर परिवार व दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था वह मोहर्रम का महीना और 10 तारीख थी। इमाम हुसैन के साथ जो लोग कर्बला में शहीद हुए थे उन्हें याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ की जाती है मुस्लिम समुदाय द्वारा लकड़ी बांस तथा रंग-बिरंगे कागजों से सुसज्जित के ताजिया हजरत इमाम हुसैन के मकबरे के प्रतीक के तौर पर निकाला जाता है। इसी जुलूस में इमाम हुसैन के सैन्य बल के प्रतीक के तौर पर कई शस्त्रों के साथ युद्ध कला बाजी दिखाते हुए लोग चलते हैं और मोहर्रम के जुलूस में शामिल लोग इमाम हुसैन के लिए अपनी संवेदना दर्शाने के लिए मरसिया गाते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम के मौके पर इमाम हसन हुसैन की शहादत को याद किया करते हैं।

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इसी परम्परा को कायम रखते हुए देर रात ताजिया दारो का काफिला नगर के वार्ड क्रमांक 15 शिवपुर में स्थित कर्बला पहुंचा जहां इस्लाम धर्म के जानकारों द्वारा फातिहा पढ़ कर ताजिया को विसर्जित किया गया तथा दुल्ला बाबा के सवारी को शांत की गई। इस तरह से शांति ढंग से मातमी पर्व मुहर्रम मनाया गया।

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